


हिमालय की मंत्रमुग्ध कर देने वाली बर्फीली चोटियों के बीच देवों के देव महादेव का निवास है। वह स्थान जहाँ पांडु के शक्तिशाली पुत्रों ने अपने पापों को धोने के लिए शरण ली थी। इस स्थान को स्वयं नर नारायण ने आशीर्वाद दिया था। ये स्थान और कोई नहीं बल्कि सभी पापों को दूर कर मनुष्य को पावन करने वाला महादेव का दिव्य ज्योतिर्लिंग केदारनाथ है।
केदारनाथ छोटा चार धाम (हिंदू धर्म में चार पवित्र तीर्थ) में से एक है, और महादेव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
कुरुक्षेत्र के युद्ध में कुंती के पुत्र विजयी हुए लेकिन जीत के बाद भी उनके मन में अपराध बोध का बीज पनपने लगा। अपने परिवार के लोगों को मारने का अपराध, अपने ही भाइयों के खिलाफ युद्ध का पाप। इन पापों से छुटकारा पाने के लिए, पाँडवों ने अपना राज्य महाराज परीक्षित को सौंप दिया और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तीर्थयात्रा शुरू की।
महादेव पांडवो के मनोभाव को समझते थे मगर फिर भी वो उनकी सहनशक्ति और निष्ठा की परीक्षा लेना चाहते थे। ऐसा करने के लिए, उन्होंने उनसे मिलने के सभी प्रयासों को टाल दिया। जब पांडव केदारखंड के क्षेत्र में पहुंचे, तो भगवान शिव ने एक बैल का रूप धारण किया ताकि पांडव उन्हें पहचान ना पाए।
बैल का रूप धर के महावेद बैलो के झुण्ड में जा पोहोंचे और उनसे दूर भागने लगे। मगर पांडु के पांच पुत्रों में से दूसरे, भीम ने उन्हें पहचान लिया और अपनी असली पहचान प्रकट करने के लिए उनकी ओर दौड़ पड़े। भीम को रोकने के लिए, भगवान शिव खुद को जमीन में विलीन होने लगे लेकिन भीम उनके पास पहुंच गए और उनके कूबड़ को कस कर पकड़ लिया। पांडवों की इच्छा शक्ति और दृढ़ संकल्प से महादेव अत्यंत प्रसन्न हुए और पांडवो को उनके सभी पापों से मुक्त किया।
केदारनाथ का ये भव्य मंदिर 1,200 साल से भी अधिक पुराना है और महादेव के 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख है। पत्थरों के बड़े, भारी और समान रूप से कटे हुए ग्रे स्लैब से निर्मित यह संरचना कारीगरी की एक उत्कृष्ट कृति है। गर्भगृह में एक बैल की कूबड़ के आकार का शिव लिंग स्थापित है जिसे शिव के सदाशिव रूप में पूजा जाता है। इतना पुराण होने पर भी लोगों की श्रद्धा में लेशमात्र भी कमी नहीं आई और इस सुन्दर देव स्थान की प्रतिष्ठा आज भी वैसी ही है जैसी द्वापर युग में थी।