दोस्तों जैसा की आप सभी जानते है कि भारतीय परंपरा और हिन्दू रीतिरिवाज़ों में नवरात्रो को कितना महत्व दिया जाता है। कहते है कि इन नौं दिनों में माँ दुर्गा अपने नौ रूपो का दर्शन देती हैं । तो आज इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कब से और क्यों की जाती है माँ दुर्गा के इन अलग अलग रूपो की आराधना। इस लेख में माँ दुर्गा के माँ महागौरी स्वरुप के जन्म के संदर्भ में बात की जायेगी।
माँ महागौरी कथा
धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में हमें उल्लेख मिलता है कि माता पार्वती ने भगवान् शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए अत्यंत कठोर तपस्या की थी। उन्होंने पर्वतराज हिमालय की गुफाओं में बैठ कर अन्न जल का त्याग कर इस तपस्या को सफल बनाया था। कहते है कि माता के इस प्रकार की तपस्या से उनका शरीर अत्यन्त शिथिल और कृष्ण वर्ण का हो गया था। परंतु जब महादेव ने उनकी तप को स्वीकार कर उन्हें अपनी भार्या के रूप में अपनाया तो उनके शरीर को गंगा जल की धाराओं से धूल दिया। जिस कारण माँ का शरीर अत्यन्त गौर वर्ण का हो गया अपने इसी गौर वर्ण के कारण माता का यह स्वरुप संसार में महागौरी के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
इस लेख के माध्यम से हमने माँ दुर्गा के आठवें स्वरुप माँ महागौरी की कथा विधिपूर्वक बताया है । माँ दुर्गा के अन्य रूपो की कथा आगे के लेखों में पढ़ने को मिलेगी।
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(Updated Date & Time :- 2020-03-31 18:31:56 )
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