दोस्तों जैसा की आप सभी जानते है कि धार्मिक परम्पराओ और हिन्दू रीती रिवाजों में दीप प्रज्जवलन को कितना शुभ माना जाता है। कोई भी मांगलिक कार्यक्रम या पूजा पाठ बिना दीप जलाए अधूरा ही माना जाता है। कहते है कि पूजा पाठ में मनोवांछित फलों की प्राप्ति हेतु अखंड ज्योति दीपक का प्रज्जवलन अत्यन्त प्रभावी होता है। तो आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएँगे की नवरात्रों में माँ दुर्गा के समक्ष
कैसे जलाए अखंड ज्योति दीप साथ ही किन - किन बातों का रखे विशेष ध्यान
नवरात्रों में जलाएं जाने वाला अखंड ज्योति दीपक का उद्देश्य एक मात्र यहीं है कि इस दीपक की ज्योति से पूरा घर प्रकाशमान रहता है साथ ही माँ दुर्गा की कृपा घर के सदस्यों पर बनी रहती है।
यह दीपक अक्सर लोग पीतल के दीपपात्र में जलाते है। परंतु इसकी उपलब्धता न होने पर मिट्टी के दिये का भी उपयोग कर सकते है।
इस दीपक को कभी भी ज़मीन के संपर्क में न रखे जहाँ तक हो सके इसे की लकड़ी की तख्ती या फिर जमीन पर चावल से अष्टदल बना कर रखे । ध्यान रहे की दीपक का तल सीधे जमीन के संपर्क में न रहे।
इस दीपक में प्रयोग होने वाली बाती को रक्षासूत्र या कलावा से बनाये। और शुद्ध देशी घी या तिल का तेल दीपपात्र में भरकर दीप जलाएं। देशी घी न होने पर सरसों का तेल भी प्रयोग में लाया जा सकता है।
इस अखंड ज्योति दीपक का उचित स्थान ध्यान में रखना अत्यन्त आवश्यक है। ऐसा कहा जाता है कि उत्तर - पूर्व की दिशा में समस्त देवगणों का निवास होता है जिसे ज्योतिष शास्त्र में ईशान कोण कहा गया है। इसलिए इस दीपक को पूर्व दक्षिण कोण या आग्नेय कोण पर स्थापित करना अच्छा माना जाता है।
समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु इस दीपक का प्रज्जवलन अत्यन्त फलदायी है। जो भी जातक सच्चे मन से इस अखंड ज्योति दीपक को जला कर माँ दुर्गा के समक्ष अपनी इच्छाएं प्रकट करता है। माँ उसकी सभी इच्छाओं की पूर्ति करती है।
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(Updated Date & Time :- 2020-03-29 19:40:14 )
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