हिन्दू धर्म कि पूजा पद्धति के अनुसार जब भी कोई वाहन खरीदते है तो उसका पूजन करना बहुत ही अवश्य होता है ताकि वो आपके लिए मंगलकारी हो l शास्त्रों में किसी भी नई वस्तु के आने पर उसकी पूजा-अर्चना करने का विधान है। इसी प्रकार कोई नया वाहन खरीदने पर भी उसकी पूजा-अर्चना की जाती है। वाहन की पूजा की शुरूआत वाहन के ऊपर आम या फिर अशोक के पत्तों से जल छिड़क कर करते है इसके बाद फिर हम वाहन में सिंदूर और घी से स्वस्तिक का चिन्ह बनाते है l स्वस्तिक शुभ होने के साथ-साथ ही काफी ऊर्जाप्रदायक होता हैं। वाहन द्वारा यात्रा में किसी प्रकार का व्यवधान न आये इसीलिए स्वस्तिक बनाया जाता है। फिर वाहन को फूलमाला पहनाएं। वाहन में तीन बार कलावा लपेटे। कलावा रक्षासूत्र होता है। जो कि वाहन की सुरक्षा के लिए होता है। अब कर्पूर से आरती करें। कलश के जल को दाएं-बाएं डाले। यह वाहन के लिए स्वागत का भाव को प्रदर्शित करता हैं। कर्पूर की राख से एक तिलक वाहन पर लगा दें। यह वाहन को नजरदोष से बचाता है। अब वाहन पर मिठाई रखें। बाद में ये मिठाई गौ माता को खाने को दें। एक नारियल लेकर नए वाहन पर से सात बार घुमाकर वाहन के आगे फोड़े। वाहन स्टार्ट कर उसे नारियल वाले स्थान पर से होते हुए एक चक्कर लगायें। इस पश्चात वाहन के पहियों के नीचे एक एक नीबू रख कर उसके ऊपर से वाहन कैसे ऐसे निकालें जिसे सभी नीबू फूट जाएँ l ईश्वर से प्रार्थना करें कि इस वाहन से सदैव हैं लाभ मिलें और अपने समृद्दि कि कामना भी करें l पूजा के बाद पूजन कराने वाले पंडित जी को अपनी यथा शक्ति के अनुसार उन्हें कुछ दक्षिणा भी प्रदान करें और उनसे आशीर्वाद लें l नया वाहन से सदा अच्छा लाभ मिलता रहें इसके लिए एक पीली कौड़ी लें। इस कोड़ी को काले धागे में पिरो लें। बुधवार के दिन इसे अपने वाहन पर लटका दें। इससे आपके वाहन की रक्षा होगी।
(Updated Date & Time :- 2019-07-06 15:13:31 )
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