भारतीय पूजा पद्धति के अनुसार पौष माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली पूर्णिमा का बहुत ही खास महत्व होता है क्योकि इस पूर्णिमा को मोक्षदयानि पूर्णिमा भी कहते है l पूर्णिमा यानि हिंदू कैलेंडर की 15वीं और शुक्लपक्ष की अंतिम तारीख। जिस दिन चंद्रमा आकाश में पूर्ण रूप से अपनी कलाओं का प्रदर्शन करता है। इस वर्ष यह पौष पूर्णिमा 20 जनवरी को ही शुरू हो जाएगी और 21 जनवरी तक चलेगी। भारतीय पंचांग के अनुसार इस बार पौष पूर्णिमा 20 जनवरी की दोपहर 14:20 से ही शुरू होगी। जो 21 जनवरी को 10:47 तक रहेगी।
वैदिक ज्योतिष और हिन्दू धर्म से जुड़ी मान्यता के अनुसार पौष सूर्य देव का माह कहलाता है। इस मास में सूर्य देव की आराधना से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान और सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा है। चूंकि पौष का महीना सूर्य देव का माह है और पूर्णिमा चंद्रमा की तिथि है। अतः सूर्य और चंद्रमा का यह अद्भुत संगम पौष पूर्णिमा की तिथि को ही होता है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों के पूजन से मनोकामनाएं पूर्ण होती है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती है।
पौष पूर्णिमा मे सबसे अच्छी तो यह बात होती है की इस दिन सूर्य और चंद्रमा अनोखा संगम होता है, क्योंकि ये माह सूर्य देव का है जबकि पूर्णिमा चंद्रमा की तिथि होती है। माना जाता है कि इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों की पूजा करके मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती है। पौष पूर्णिमा से ही एक महीने के कल्पवास का भी आरंभ हो जाता है।
कल्पवास का मतलब है किसी नदी या जल स्रोत के तट पर रहते हुए वेदाध्ययन और ध्यान करना। कल्पवास आरंभ पौष माह के 11वें दिन यानि एकादशी से माघ माह के 12वें दिन तक चलता है। वैसे कुछ लोग मकर संक्रांति से भी कल्पवास शुरू कर देते है। मान्यता है कि कल्पवास मनुष्य के लिए आध्यात्मिक विकास का माध्यम है और संगम पर पूरे माघ माह निवास करने से पुण्य फल प्राप्त होता है। इस बार यह पूर्णिमा खास इसलिए है क्योकि इस दिन पूर्ण चन्द्र ग्रहण भी पड़ रहा है जिसमे अपनी क्षमता के अनुसार दान-पुण्य करने का महत्व और भी बढ़ जाता है l
क्या है पौष पूर्णिमा की व्रत और पूजा विधि : इस दिन प्रातः काल उठकर नित्य-नियम से निवृत होकर इस व्रत का संकल्प लें। इसके बाद सूर्य मंत्र के साथ सूर्य देव को अर्घ्य दें। किसी जरूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराएं। ब्राह्मण या गरीब व्यक्ति को तिल, गुड़, कंबल और ऊनी वस्त्र का दान करें। इस दिन चंद्रमा को नामित व्रत करने से चंद्रमा के खराब प्रभाव को भी कम किया जा सकता है। इन दिनों प्रयागराज में कुंभ मेला चल रहा है जिसमें दूसरा शाही स्नान पौष पूर्णिमा पर ही होगा। प्रयाग राज के अलावा इस दिन हरिद्वार, गंगासागर, गंगा नदी में डुबकी लगाने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है ।
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(Updated Date & Time :- 2020-02-12 14:40:48 )
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