मीना कुमारीका राशिफल :-
मीना कुमारी का जन्म 1 अगस्त, 1933 मुंबई महाराष्ट्र में गुरु की महादशा में एक मुस्लिम परिवार में हुआ । यह दशा इनके जीवन काल में 2 साल तक रही इसके बाद इनके जन्म कुंडली के आधार पर शनि की महादशा 06 मई 1934 में लगी शनि इनकी जन्म कुंडली में चतुर्थ भाव में बैठे है जहा से ऐसे इंसान की पढ़ाई लिखाई का फल नहीं मिलता तो इनकी पढ़ाई लिखाई ज्यादा अच्छी नहीं रही क्योकि इनकी जन्म कुण्डली के आधार पर शनि की महादशा लगने के बाद इनकी छोटी उम्र से ही काम करने के योग बनते है इनकी जन्म कुंडली में शुक्र मंगल की युति के कारण इन्होने अभिनय में अपना हुनर आज़माया बतौर अभिनेत्री काम किया इसके अलावा इसी युति के कारण इनके कुंडली में अपनी मर्जी से शादी के योग बने। इनकी शनि की महादशा में और गुरु की अंतर्दशा के दौरान इनके विवाह के योग बने और कमाल अमरोही नामक एक मशहूर फिल्म निर्देशक के साथ इनका विवाह हुआ । शादी के बाद इनकी जन्म कुंडली में बुध की महादशा लगी इस दशा के अंतर्गत मीना कुमारी अपने फिल्मी कैरियर की तरफ आगे बढ़ने के योग बने और सुपर स्टार बनने के योग बने । इस महादशा ने जहा इनके काम को आगे बढ़ाया वही इनके काम की वजह से इनके शादी शुदा जीवन में दरार होने के योग बने । इनकी जन्म कुंडली के अंतर्गत मंगल शुक्र की युति के दौरान इनके जीवन साथी के सुखो में कमी करता है अतः इसी महादशा के अंतर्गत 1964 में इनका अपने पति कमाल अमरोही से अलगाव हो गया । 06 मई 1970 में केतू की महादशा में इनको बीमार होने के योग बने और धीरे-धीरे इनकी बीमारी ज्यादा बढ़ने के योग बने जिसके कारण इनकी कुंडली में शराब मांस से दूर रहने के योग बनते है लेकिन केतू की महादशा में इनका खाने पीने के तरफ रुझान हुआ जिसके कारण इनके सेहत संबन्धित परेशनिया ज्यादा होने लगी और इसी के चलते अपनी आखिरी फिल्म पाकीज़ा करने के बाद, केतू की महादशा में इन्होने इस दुनिया से अलविदा कह दिया ।
कहा जाता है कि दरिद्रता से ग्रस्त उनके पिता अली बक़्श उन्हें पैदा होते ही अनाथाश्रम में छोड़ आए थे चूँकि वे उनके डाँक्टर श्रीमान गड्रे को उनकी फ़ीस देने में असमर्थ थे। हालांकि अपने नवजात शिशु से दूर जाते-जाते पिता का दिल भर आया और तुरंत अनाथाश्रम की ओर चल पड़े, पास पहुंचे तो देखा कि नन्ही मीना के पूरे शरीर पर चीटियाँ काट रहीं थीं। अनाथाश्रम का दरवाज़ा बंद था, शायद अंदर सब सो गए थे। यह सब देख उस लाचार पिता की हिम्मत टूट गई, आँखों से आँसु बह निकले। झट से अपनी नन्हीं-सी जान को साफ़ किया और अपने दिल से लगा लिया। अली बक़्श अपनी चंद दिनों की बेटी को घर ले आए। समय के साथ-साथ शरीर के वो घाव तो ठीक हो गए किंतु मन में लगे बदकिस्मती के घावों ने अंतिम सांस तक मीना का साथ नहीं छोड़ा।