मिल्खा सिंहका राशिफल :-
मिल्खा सिंह जी ने रोम के 1960 ग्रीष्म ओलंपिक और टोक्यो के 1964 ग्रीष्म ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया था। उनको “उड़न सिख” का उपनाम दिया गया था। इन्होनें अपने जीवन की घटनाओं से संबंधित एक पुस्तक की भी रचना की जिसका नाम था भाग मिल्खा भाग और बाद में इस पुस्तक का भारतीय हिन्दी सिनेमा ने एक फिल्म का रुप दिया और उसका नाम रखा भाग मिल्खा भाग । इस फिल्म का इसका निर्देशन राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने किया है।
मिल्खा सिंह का जन्म 20 नवम्बर 1929 में राहु की महादशा मे गोविंद्पूरा पाकिस्तान में हुआ राहु इनकी जन्म कुंडली में चौथे भाव में स्थित है, जहा से घर की सुख शांति का स्थान देखा जाता है। यह महादशा इनकी जन्म कुंडली के अनुसार इनके जीवन में 1 साल तक रही । 25 जुलाई 1930 में इनकी जन्म कुंडली में गुरु की महादशा लगी। गुरु इनकी जन्म कुंडली में पंचम भाव में स्थित है, जहां से इंसान को अपने पिता दादा का सुख मिलता है, लेकिन गुरु बुध की दृष्टि के अनुसार गुरु ने अपना फल खराब कर दिया और और पिता दादा और परिवार के सुखो में कमी के योग बने। इनकी पढ़ाई लिखाई के ज्यादा अच्छे योग नहीं रहे, इस दशा के अंतराल में इनके जीवन में अचानक भयानक हादसा होने के भी योग बने यानि गुरु की महादशा में इनका जन्म स्थान बदलने के योग बने, लेकिन मंगल लाभ के स्थान में बैठ कर इनको खेल के क्षेत्र में इनका रुझान बनाया। 25 जुलाई 1946 में शनि की महादशा लगी, शनि इनकी जन्म कुंडली के बारहवें भाव में स्थित है, जो जातक को थोड़ा संघर्ष देता है, लेकिन बढ़ती उम्र के साथ ये काफी ऊंचाइयाँ भी देता है। जैसा की इनकी जन्म कुंडली में सूर्य मंगल बुध ग्यारहवें भाव में और गुरु पंचम भाव में स्थित है। जहा से इनको सरकार से जुडने का योग बनाता है और सरकारी नौकरी लगी। मिल्खा सिंह की वैसे शुरुआत से ही खेल के क्षेत्र में रुचि रही क्योंकि इनकी जन्म कुंडली में मगल ग्यारहवें भाव में है। ऐसे जातक को खेल कूद के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाने में सफलताएं हासिल होती है। इन्होने खेल के क्षेत्र में अपने कैरियर की शुरुआत 1958 की । 25 जुलाई 1959 में बुध की महादशा काफी संघर्ष के बाद इनको अपने खेल के क्षेत्र में आगे बढ़े और इसी महादशा के अंतर्गत मिल्खा सिंह की शादी की निर्मल सैनी से 1962 में हुई। इसी महादशा के दौरान इनके तीन बेटी और एक बेटा होने के योग बने । इन्होने अपने जीवन में बहुत बुलंदियां हासिल की। बुध इनकी जन्म कुंडली में लाभ के स्थान में यानि की ग्यारहवें भाव में बैठ है, जो की 34 वर्ष के बाद अपना अच्छा फल प्रदान करता है। 25 जुलाई 1982 में केतु की महादशा में इनको काफी प्रसिद्धिया हासिल हुई। केतू इनकी जन्म कुंडली में दसवें भाव में यानि की काम-काज के स्थान में बैठ कर अपने काम क्षेत्र में अच्छा सुख मिला और अपने काम की वजह से कई बार स्थानांतरण भी हुए। 25 जुलाई 1989 में शुक्र की महादशा में थोड़ा सी इनकी सेहत से संबन्धित दिक्कते तो रही लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ-साथ इनको शुक्र की महादशा में लग्जरी लाइफ का मालिक बनाया। इनको अपने काम, जीवनसाथी और संतान का भरपूर सुख मिला। शुक्र की महादशा इनके जीवन में 20 साल तक रही, इस महदशा के अंतर्गत सन 1999 में समाज से जुडने के योग बने। उन्होंने सात साल के एक बेटे को गोद लिया। 25 जुलाई 2009 में सूर्य की महादशा लगी सूर्य इनकी जन्म कुंडली में ग्यारहवें भाव में बैठे है, जहां जातक अगर झूठ और किसी के साथ धोके बाजी न करे तो ऐसा इंसान नेक दिल इंसान होता है और सूर्य लाभ के स्थान में बैठ कर इनको धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति करता है। इसी महादशा में इन्होने अपने व्यक्तित्व को अब किताब में उतार दिया। किताब के ऊपर इनके पूरे जीवन को एक फिल्म के रूप में 2013 में प्रदर्शित किया गया। 25 जुलाई 2015 में चन्द्र की महादशा के अंतराल इनको सेहत से संबन्धित परेशनियां होने के योग बनते है। चन्द्र छठे भाव में बैठ कर इनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत रखता है, लेकिन सेहत और मन से संबन्धित परेशानी देता है। यह महादशा 2025 तक रहेगी इस दशा के दौरान इनको सेहत से संबन्धित परेशानियां रहेगी।