पी. चिदंबरमका राशिफल :-
इसके बाद इस महादशा के अंतर्गत इनकी शुरुआती पढ़ाई बहुत अच्छी रही इनकी जन्म कुंडली में शुक्र इनके पंचम भाव में स्थित है और इसी शुक्र की दशा इनके जीवन में 9 साल तक रही। 25 मार्च 1954 – 24 मार्च 1960 – तक इनकी जन्म कुंडली में सूर्य की महादशा रही। इस दशा के अंतर्गत इनकी जन्म कुंडली के आधार पर यह समय कुछ मिला जुला सा रहा क्योंकि जन्म के अंतर्गत सूर्य इनकी जन्म कुंडली में नीच स्थान में बैठ कर स्वभाव में लालच,स्वार्थी और बेवजह गुस्सा देने का काम करता है। 25 मार्च 1960 - 24 मार्च 1970 - इस दौरान इनकी जन्म कुंडली में चन्द्र की महादशा रही। चन्द्र इनकी जन्म कुंडली में चन्द्र दसवें भाव में स्थित है जो की चन्द्र के साथ केतु चन्द्र ग्रहण बनाते है जो की इनकी पढ़ाई लिखाई को तो आगे बढ़ाता है लेकिन उससे संबन्धित फल नहीं मिलता। इस महादशा के दौरान इनका विवाह 11 दिसम्बर 1968 में श्रीमति नलिनी से हुआ। 25 मार्च 1970 -24 मार्च 1977 - इस दौरान इनकी जन्म कुंडली में मंगल की महादशा लगी। इस महादशा के दौरान इनको एक पुत्र की प्राप्ति 16 नवम्बर 1971 में हुई जिसका नाम कार्ति पी. चिदंबरम है जो की काँग्रेस पार्टी के सदस्य है। इस महादशा के अंतर्गत इनका रुझान राजनीति की तरफ हुआ । मंगल इनकी जन्म कुंडली में चौथे भाव में बैठा है और यह मंगल नीच का माना जाता है जिसके कारण इंसान को उसकी मेहनत का फल नहीं मिलता है।
25 मार्च 1977 -24 मार्च 1995 - में राहु की महादशा का आगमन हुआ राहु जन्म कुंडली में चौथे भाव में बैठा हुआ है। जब तक राहु शांत न हो तब तक घर में कोई तोड़ फोड़ न करवाए तभी आपको राहु के अच्छे फल मिलते है। इस दशा के दौरान इनको अपने व्यबसाय में तरक्की मिली । चिदंबरम पहली बार वर्ष 1984 में लोकसभा में तमिलनाडु राज्य के शिवगंगा निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़े और वर्ष 1986 में उन्होंने कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में काम किया। इन्हें गृह मंत्रालय में सुरक्षा के लिए राज्यमंत्री के रूप में उभर कर आए। 1989 -1995 तक इनका समय बहुत अच्छा रहा और इनको राजनीति क्षेत्र में ऊंचाइया मिली और मान-सम्मान भी मिला। 25 मार्च 1995 - 24 मार्च 2011 - गुरु की महादशा के अंतर्गत वर्ष 1996 के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टी के साथ गठबंधन करके अपनी सरकार बनाने के योग बने। इनकी जन्म कुंडली में गुरु सप्तम भाव में बैठे है जहां से दैनिक कमाई का आधार देखा जाता है। इसके अंतर्गत पी. चिदंबरम को केंद्रीय वित्त मंत्री के पद पर नियुक्त करने के योग बने । वर्ष 1998 में गठबंधन सरकार गिरने के बाद भी उन्होंने दो साल तक वित्त मंत्री का कार्यभार संभाला। इस महादशा के दौरान इनको अपने मान-सम्मान में वृद्धि हुई और इन्होने 2008 तक अपने क्षेत्र में उभर कर नज़र आए । 25 मार्च 2011 -24 मार्च 2030 - इस समय के अंतराल इनकी जन्म कुंडली में शनि की महादशा चल रही है शनि इनकी जन्म कुंडली में चौथे भाव में बैठ कर अपना फल खराब कर देता है यानि की मान-सम्मान में खराबी के हालात बनाता है और आर्थिक स्थिति को हिलाकर रख देता है। ऐसे में इन्होने अपने अंदर अगर स्वार्थ की भावना रखी तो इनको और ज्यादा मान-सम्मान की हानि उठानी पड़ सकती है।