प्रश्न- कैसे बनता है कुंडली मे कालसर्प दोष?
उत्तर- जन्म कुंडली के अंतर्गत राहु और केतु की स्थिति सदैव ही आमने सामने होती है। अर्थात यदि राहु पहले घर मे है तो केतु सातवें स्थान पर होंगे इसी प्रकार यदि राहु 12वें घर मे हैं तो केतु सदैव छठे घर मे होंगे। अब ऐसी स्थिति में इन दोनों के बीच एक अदृश्य दीवार बनी होती है और यदि कुंडली मे उपस्थित अन्य ग्रह इनके एक तरफ जाकर विराजमान हो जाये तो इन ग्रहों के शुभ परिणाम मिलने बंद हो जाते है। इसे ही ज्योतिष शास्त्र में कालसर्प दोष की संज्ञा दी गयी है। कुंडली का ये दोष ऐसे योग बनाता है कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी ग्रहों के अच्छे फल मिलना बंद हो जाते है फिर चाहे वो नौकरी ,कॅरिअर , विवाह , धन-संपत्ति आदि किसी से भी संबंधित हो।
लाल किताब उपाय- किसी भी घर का कालसर्प दोष ठीक करने हेतु साल में एक बार कांसे के कटोरे में देशी घी में हलवा बनाकर इसमे भरे तथा देशी घी पिघलाकर इसमे ऊपर से डाले फिर इसमें चांदी की बनी नाग- नागिन की मूर्ति डाले और उस कटोरे में एक बार मुह देख कर उसे किसी गरीब को दान में दें।
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