किसी कार्य को शीघ्रता से आरंभ करना हो अथवा यात्रा पर जाना हो और कोई मुहूर्त नहीं निकल रहा हो तो उसके लिए चौघड़िया मुहूर्त देखकर कार्य करना या यात्रा करना उत्तम होता है।
दिन का चौघड़िया |
रात्रि का चौघड़िया |
06:40 - 08:08 अमृत |
18:23 - 19:55 चर |
08:08 - 09:36 कालकाल वेला |
19:55 - 21:27 रोग |
09:36 - 11:03 शुभ |
21:27 - 22:59 काल |
11:03 - 12:31 रोग |
22:59 -24:31+ लाभकाल रात्रि |
12:31 - 13:59 उद्वेग |
24:31+-26:03+ उद्वेग |
13:59 - 15:27 चर |
26:03+-27:35+ शुभ |
15:27 - 16:55 लाभवार वेला |
27:35+-29:07+ अमृत |
16:55 - 18:23 अमृत |
29:07+-30:39+ चर |
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