किसी कार्य को शीघ्रता से आरंभ करना हो अथवा यात्रा पर जाना हो और कोई मुहूर्त नहीं निकल रहा हो तो उसके लिए चौघड़िया मुहूर्त देखकर कार्य करना या यात्रा करना उत्तम होता है।
दिन का चौघड़िया |
रात्रि का चौघड़िया |
05:58 - 07:34 लाभ |
18:44 - 20:08 उद्वेग |
07:34 - 09:09 अमृत |
20:08 - 21:32 शुभ |
09:09 - 10:45 कालकाल वेला |
21:32 - 22:56 अमृत |
10:45 - 12:21 शुभ |
22:56 -24:20+ चर |
12:21 - 13:57 रोगवार वेला |
24:20+-25:45+ रोग |
13:57 - 15:32 उद्वेग |
25:45+-27:09+ काल |
15:32 - 17:08 चर |
27:09+-28:33+ लाभकाल रात्रि |
17:08 - 18:44 लाभ |
28:33+-29:57+ उद्वेग |
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