किसी कार्य को शीघ्रता से आरंभ करना हो अथवा यात्रा पर जाना हो और कोई मुहूर्त नहीं निकल रहा हो तो उसके लिए चौघड़िया मुहूर्त देखकर कार्य करना या यात्रा करना उत्तम होता है।
दिन का चौघड़िया |
रात का चौघड़िया |
07:11 - 08:32 चर |
18:02 - 19:40 रोग |
08:32 - 09:53 लाभ |
19:40 - 21:19 काल |
09:53 - 11:15 अमृतवार वेला |
21:19 - 22:57 लाभकाल रात्रि |
11:15 - 12:36 कालकाल वेला |
22:57 -24:36+ उद्वेग |
12:36 - 13:58 शुभ |
24:36+-26:14+ शुभ |
13:58 - 15:19 रोग |
26:14+-27:53+ अमृत |
15:19 - 16:40 उद्वेग |
27:53+-29:31+ चर |
16:40 - 18:02 चर |
29:31+-31:10+ रोग |
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