नवरात्रि का यह विशिष्ट छठा दिन देवी कात्यायनी की पूजा करने के लिए मनाया जाता है। यह इस वर्ष दिनांक: 27-03-23 जो महिलाएं चाहती हैं कि उनकी बेटियों की शादी जल्दी हो जाए, उन्हें अपनी बेटियों को भी इस दिन व्रत करने के लिए माँ का आशीर्वाद लेने के लिए मार्गदर्शन करना चाहिए। वे मां कात्यायनी के मंत्रों का जाप करें।
"कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।"
इसके अलावा, उनकी उपासना से भक्तों को लंबी उम्र का आशीर्वाद भी देती हैं। उनकी पूजा आराधना से भक्तजनों को सांसारिक सुखों की अनुभूति होती है।मां कात्यायनी कथा
प्राचीन कथा के अनुसार, ब्रज की गोपियों ने माँ कात्यायनी से भगवान कृष्ण से विवाह करने की प्रार्थना की थी। तब से वह ब्रज भूमि की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती है। दूसरी ओर, प्राचीन शास्त्रों के अनुसार, ऋषि कात्यायन ने माँ कात्यायनी की कठोर तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर देवी ने उनके घर जन्म लिया। यह माँ पार्वती का हिंसक रूप माना जाता है। राक्षस महिषासुर का वध करने के लिए माँ पार्वती ने देवी कात्यायनी का हिसंक रूप धारण किया। भक्तजन इस दिन पीले वस्त्र धारण करें और माँ कात्यायनी को पूजा में पांच प्रकार की मिठाई अर्पण करें और उनकी विशेष कृपा प्राप्त करें।
व्रत संकल्प (मंत्र)
ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्राह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे, अमुकनामसम्वत्सरे (भक्त का नाम वर्ष सहित) चैत्रशुक्लप्रतिपदि अमुकवासरे (भक्त का नाम) प्रारभमाणे नवरात्रपर्वणि एतासु नवतिथिषु अखिलपापक्षयपूर्वक-श्रुति-स्मृत्युक्त-पुण्यसमवेत-सर्वसुखोपलब्धये संयमादिनियमान् दृढ़ं पालयन् अमुकगोत्रः (भक्त का गोत्र)
अमुकनामाहं (भक्त का नाम) भगवत्याः दुर्गायाः प्रसादाय व्रतं विधास्ये।
नोट: अमुक के स्थान पर नाम, गोत्र और वर्ष अवश्य लिखें!
अर्थ –
ॐ विष्णु, विष्णु, विष्णु, आज, युग के अगले भाग में, श्री श्वेतवराह कल्प में, जम्बू द्वीप में, भारत देश में, अमुकनाम, (भक्त का नाम) संवत्सर,(वर्ष)
चैत्र शुक्ल प्रतिपदी अमुकवासर, (भक्त का नाम) नवरात्र पर्व) मैं देवी दुर्गा की कृपा के लिए व्रत रखूंगा / रखूंगी।
नोट: अमुक की जगह नाम, गोत्र और वर्ष याद रखें!
मंत्र
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
प्रार्थना
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
ध्यान
वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥
स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥
पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्॥
माँ कात्यायनी की आरती
जय जय अम्बे जय कात्यायनी। जय जग माता जग की महारानी॥
बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहावर दाती नाम पुकारा॥
कई नाम है कई धाम है। यह स्थान भी तो सुखधाम है॥
हर मन्दिर में ज्योत तुम्हारी। कही योगेश्वरी महिमा न्यारी॥
हर जगह उत्सव होते रहते। हर मन्दिर में भगत है कहते॥
कत्यानी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की॥
झूठे मोह से छुडाने वाली। अपना नाम जपाने वाली॥
बृहस्पतिवार को पूजा करिए। ध्यान कात्यानी का धरिये॥
हर संकट को दूर करेगी। भंडारे भरपूर करेगी॥
जो भी माँ को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे॥
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Guru Ji Jai Mata Di Guru Ji