महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि पर बन रहे ख़ास योग में प्राप्त होगी महादेव की असीम कृपा

भारतीय संस्कृति में देवी-देवताओं को पूजने की परम्परा रही है और महाशिवरात्रि का पावन पर्व देवों के देव महादेव से जुड़ा है। महाशिवरात्रि पूरे भारतवर्ष में मनाया जाने वाला आस्था का ऐसा त्यौहार है जिसमे सभी भक्त महादेव को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधि-विधान से पूजा अर्चना करते हैं।आमतौर पर शिवरात्रि प्रत्येक महीने में एक बार आती है लेकिन साल में एक बार आने वाली “महाशिवरात्रि” का बहुत ही ख़ास महत्व है। यह फाल्गुन महीने की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है और इस साल ये महाशिवरात्रि का त्यौहार 08 मार्च को शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन शिवरात्रि के साथ-साथ कुछ ऐसे ख़ास योग भी बनेंगे जिसमे भगवान भोलेनाथ की अराधना करना भक्तों के लिए बहुत ही लाभदायक रहेगा। 


इस महाशिवरात्रि पर बन रहा है सर्वार्थसिद्धि योग 


इस साल की महाशिवरात्रि पर सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है, ऐसा योग या ग्रहों की शुभ स्थिति 300 साल में एक या दो बार ही बनते है, इसलिए इस महाशिवरात्रि का ख़ास महत्व है। सर्वार्थसिद्धि योग में भगवान शिव शंकर की अराधना करने से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। इस योग की ख़ास विशेषता यह है की इस योग में किसी भी कार्य की शुरुआत करने से उसमें सफलता प्राप्त होती है, यह योग धन-लाभ और कार्य सिद्धि की दृष्टि से बहुत शुभ होता है। महाशिवरात्रि हिन्दू धर्म का एक पवित्र त्यौहार है जिसके पीछे कई धार्मिक मान्यताएं है। 

 

शुभ मुहूर्त और पूजा विधि 


शुभ मुहूर्त :- 8 मार्च को महाशिवरात्रि का पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 12 बजकर 07 मिनट से लेकर 12 बजकर 56 मिनट तक है, क्योंकि इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है तो सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक भोलेनाथ की पूजा की जा सकती है। 


पूजा विधि 


  1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद हरे रंग के वस्त्र धारण करें। 

     

  1. उपवास रखें और शुभ मुहूर्त में महाशिवरात्रि की पूजा की शुरुआत करें। 

  1. पंचामृत या एक लोटे साफ़ जल से भोलेनाथ का अभिषेक करें। 

  1. चन्दन का टीका लगाएं बेल पत्र, फूल, धतूरा भोलेनाथ को अर्पित करें साथ ही शिव गायत्री मंत्र ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात् या ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। 

  1. चावल की खीर या हलवा बनाकर भोलेनाथ को भोग लगाएं साथ ही प्रसाद के रूप में सभी को बाटकर खुद भी ग्रहण करें। 

महाशिवरात्रि की पूजा में भूलकर भी न करें ये गलतियां


  1. भोलेनाथ की पूजा में सिन्दूर, हल्दी, नारियल, कनेर व कदम्ब के फूल और तुलसी के पत्तों का प्रयोग न करें। 

  1. काले रंग के वस्त्र ना पहनें। 

  1. इस दिन सोने चांदी का दान करने से बचें।


ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यता 


शिवरात्रि का अर्थ होता है “शिव की रात”। इस दिन सभी शिवभक्त विधि-विधान से भोलेनाथ की पूजा करने के साथ उपवास भी रखते हैं। मान्यता है की देवाधिदेव भोलेनाथ सभी देवताओं में बहुत ही दयालु है इसलिए अन्य देवताओं की अपेक्षा उन्हें प्रसन्न करना अधिक सरल है साथ ही महाशिवरात्रि से जुड़ी कुछ धार्मिक मान्यताएं भी है।


शिव-पार्वती विवाह 

   

आदिशक्ति माँ पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए बहुत ही कड़ी तपस्या की थी, उनकी तपस्या और दृढ़ निश्चय देखकर भोलेनाथ ने उनकी तपस्या के फलस्वरूप खुद को उन्हें सौप दिया और इस तरह शिव पार्वती विवाह के उपलक्ष्य में महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है।


शिवलिंग के रूप में अवतरण 


भगवान भोलेनाथ स्वयंभू हैं और ऐतिहासिक तौर पर यह कथा प्रचलित है की महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान भोलेनाथ लिंग रूप में प्रकट हुए थे। सभी देवताओं में महादेव ही एकमात्र ऐसे देव हैं जिनके साकार यानी मूर्ति रूप एवं निराकार यानी लिंग रूप की पूजा की जाती है। 


शिकारी द्वारा शिवलिंग की अनजाने में की गई पूजा 


गरुड़ पुराण की एक कथा के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन का एक और कारण से ख़ास महत्व है एक कथा के अनुसार एक शिकारी की जो एक रोज शिकार करने के लिए निकला था लेकिन बहुत देर तक कोई शिकार ना मिलने के कारन वो थक हारकर एक बिल्व वृक्ष के निचे चला गया, जहाँ एक शिवलिंग भी रखा हुआ था उसने अपने आराम के लिए बिल्व वृक्ष के कुछ पत्ते तोड़े जो शिवलिंग पर भी गिर गए साथ ही पास ही के तालाब से पानी लेकर उसने अपने पैरों को धोया, जिसकी कुछ छीटें भी उस शिवलिंग पर पड़ी और तभी उसका एक तीर ज़मीन पर गिर गया, जिसे उठाने के लिए वो नीचे झुका जिससे उसने शिवलिंग के आगे भी शीश झुकाया, इस तरह अनजाने में उसने भोलेनाथ की पूजा की जिसके फलस्वरूप उसकी मृत्यु के बाद जब यमदूत उसे लेने आये तो भोलेनाथ के गणों ने उसका रक्षण किया और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई। 

इस कथा के अनुसार उस शिकारी ने अनजाने में भोलेनाथ की पूजा की जिसका एक अर्थ यह भी निकला की उसे किसी फल की इच्छा नहीं थी, इस तरह जब अनजाने में की गई पूजा इतनी फलदाई हो सकती है तो पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ भोलेनाथ को पूजना कितना शुभ हो सकता है। 

महाशिवरात्रि भगवान भोलेनाथ के प्रति भक्तों की आस्था और अटूट श्रद्धा का धार्मिक त्यौहार है जिसे सभी देशवासियों द्वारा बहुत ही हर्षोउल्लास से मनाया जाता है। हम ये कामना करते हैं की इस महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ और माता पार्वती आप सब पर अपनी कृपा बनाए रखें।


आप सभी को गुरुदेव जी. डी. वशिष्ठ जी और वशिष्ठ ज्योतिष संस्थान की ओर से महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं। 

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3 comments

Jai mata di guru ji apko koti koti parnam 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Surendra khari

2021 se bahut pareshan ho raha hu koi Kam nahi ban Raha karaj bahut hai pariwar ke log sath nhi de rhe bache.ke bhi kam nahi ban rahe date of birth 30,08,1964, time 2,39,am solan HP please help me

Karam chand sharma

Jai bole baba

Sukhpreet kaur

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