मकर संक्रांति को नववर्ष के पहले त्यौहार के रूप में पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है, इस साल 15 जनवरी 2024 को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। मुख्य तौर पर इस दिन को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है, जिससे नए साल का शुभारम्भ होता है। मकर संक्रांति के दिन किसी भी काम की शुरुआत करना शुभ फल देता है, यह त्यौहार सूर्य देवता के पूजन के लिए भी विशेष माना जाता है। मुख्य मान्यता है की इस दिन सूर्य देव दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करते है जिसके बाद से दिन बड़ा और रात छोटी होने लगती है। ज्योतिष के अनुसार शनिदेव को मकर और कुम्भ राशि का स्वामि माना गया है, ज्योतिषविदों एवं पंचांग के अनुसार 15 जनवरी को सूर्य देव प्रातः 02 बजकर 54 मिनट पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
देश के अलग-अलग हिस्सों में मकर सक्रांति को अलग-अलग नाम से मनाया जाता है, दक्षिण में इसे पोंगल तो पूर्व में इसे बीहू कहा जाता है। इस दिन भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करने और उनकी आराधना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
ऐतिहासिक एवं धार्मिक मान्यता
सूर्य की स्तिथि में हर महीने परिवर्तन होता है और लगभग 30 दिनों के बाद सूर्य एक से दूसरी राशि में प्रवेश करता है और किसी भी राशि में सूर्य का प्रवेश करना सक्रांति कहलाता है। इसी तरह 15 जनवरी को सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है जो मकर सक्रांति कहलाती है। मकर संक्रांति को लेकर कई ऐतिहासिक मान्यता और कथाएँ है….
माँ गंगा का पृथ्वी पर अवतरण
कहा जाता है मकर संक्रांति के दिन ही माता गंगा महाराजा भागीरथ के आग्रह करने पर धरती पर कपिल ऋषि के आश्रम से बहते हुए सागर में जा मिली थी। इसलिए इस दिन गंगा स्नान करना बहुत फलदायी होता है, और उनके पुत्र भीष्म ने भी अपने प्राण त्यागने के लिए मकर संक्रांति के दिन को ही चुना था। इसी कारण मान्यता है की इस दिन मृत्यु होने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सूर्य देव का मकर राशि में प्रवेश
शनि देव, पिता सूर्य के द्वारा अपने और उनके सौतेले भाई यमराज में भेदभाव को लेकर सूर्यदेव पर गुस्सा थे, तो सूर्य देव ने उन्हें और उनकी माता को खुद से अलग कर दिया जिसके चलते शनि देव ने सूर्य देव को कुष्ठ रोग का श्राप दिया। उनके ठीक होने के लिए यमराज ने तपस्या भी की लेकिन कोई असर नहीं हुआ तो सूर्य देव ने गुस्से में आकर शनि देव के घर [कुम्भ] को आग लगा दी,जिसके बाद यमराज द्वारा सूर्यदेव को समझाने पर सूर्यदेव शनि देव के घर पहुचे, जहाँ शनि देव ने कुछ ना होने पर सूर्य देव की काले तिल से पूजा की तो सूर्यदेव ने आशीर्वाद दिया की शनि का दूसरा घर मकर होगा, जो की सूर्य के आने पर धन-धान्य से भर जाएगा। सरल भाषा में कहे तो यह पर्व पिता पुत्र के अनोखे मिलन से जुड़ा है। प्राचीन समय से ही मकर संक्रांति के त्यौहार का बहुत महत्व रहा है।
भगवान विष्णु द्वारा धरती पर असुर संहार
प्राचीन समय में जब धरती पर असुरों और राक्षसों का आतंक बढ़ गया था तब भगवान् विष्णु ने धरती पर आकर सभी असुरों का संहार करते हुए उनका सर काटकर मंदरा पर्वत पर लटका दिया था, और धरती को सुरक्षित किया, तभी से भगवान् विष्णु जी की असुरों पर विजय के रूप में मकर सक्रांति को मनाया जाने लगा।
मकर संक्रांति पर दान का है खास महत्व
किसी भी शुभ या खास दिन पर दान करना पुण्य माना जाता है लेकिन मकर संक्रांति पर दान करने का खास महत्व है, क्योंकि इस दिन किये गए दान का सौ गुना फल लौटकर व्यक्ति को मिलता है।
1. इस दिन सुबह नहा धोकर स्वच्छ वस्त्र पहनकर, तांबे के लौटे में स्वच्छ जल भरकर सूर्य को अर्घ्य दें, अर्घ्य देते हुए सूर्य देव के मन्त्र का जाप भी करें 'ऊं आदित्य नम: मंत्र या ऊं घृणि सूर्याय नमः
2. मकर संक्रांति के दिन काली तिल, गुड़ और गुड़ से बनी चीज़ो का दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है इससे बुद्धि का विकास होता है साथ ही व्यक्ति को समाज में मान सम्मान मिलता है।
3. आप इस दिन गरीबो में कंबल और खिचड़ी भी दान कर सकते हैं, इससे लोगो का भला होगा और आप एक पुण्य का कार्य करेंगे।
इसलिए इस शुभ दिन पर मनवांछित फल पाने के लिए श्रद्धा भाव से सूर्य से सम्बंधित चीज़ो का दान जरूर करें।
ख़ास भोजन
मकर संक्रांति के दिन ख़ास भोजन खाने की परंपरा बहुत समय से चली आ रही है, माना जाता है की पौष्टिक और ताज़ा भोजन हमारे शरीर में नई एनर्जी और फूर्ती लाता है, मकर संक्रांति के दिन खाया जाने वाला भोजन है …..
खिचड़ी :- साल की नई कटी फ़सल के अनाज और ताज़ी सब्जियों से बनी खिचड़ी मकर संक्रांति के दिन खाई जाती है जो की सेहत के लिए बहुत ही अच्छा, सादा और पौष्टिक भोजन होता है।
दही चूरा :- देश के कई हिस्सों में खिचड़ी के साथ दही-चूरा, तिल और मुरमुरे के लड्डू खाए जाते है जिससे सर्दियों में शरीर में गर्माहट बनी रहती है।
पोंगल :- ये दक्षिण भारत में मकर सक्रांति पर खाया जाने वाला स्वादिष्ट पकवान होता है, इसे चावल मूंग दाल, जीरा, काली मिर्च, हिंग, करी पत्ता और अदरक से तैयार किया जाता है।
पतंगबाजी के लिए खास दिन
मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की भी परंपरा है, जिसके लिए बच्चे सबसे ज्यादा उत्साहित होते हैं। सर्दी की तेज़ धूप में पतंग उड़ाना सेहत के लिए फायदेमंद होता है।
मकर संक्रांति सभी भारतवासियों के लिए भाईचारे और एकता का पवित्र त्यौहार है इस दिन दान-पुण्य करके गरीबो की मदद की जाती है साथ ही यह त्यौहार सभी देशवासियों के जीवन में आशाओं की एक नई किरण लेकर आता है, हम भी आशा करते है कि इस मकर संक्रांति सूर्य देवता आप सभी के भविष्य को उजागर करें।
आप सभी को गुरुदेव जी. डी. वशिष्ठ जी और वशिष्ठ ज्योतिष संस्थान की ओर से मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं।