नवरात्रि के आठवें दिन को महाअष्टमी मनाई जाती है इस दिन मातारानी के आठवें स्वरुप माँ महागौरी की उपासना का विधान है और इस साल चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन 16 अप्रैल 2024 को है। माता का यह स्वरुप बहुत ही गोरा है जिससे उनकी तुलना शंख, चमेली के फूल और चंद्रमा से की जाती है, इस विशिष्ट दिन को कई भक्त नवरात्रि के उद्यापन के रूप में कन्यापूजन करके भी समाप्त करते हैं, इस दिन का उपवास मातारानी की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। आइए एस्ट्रोसाइंस के इस ख़ास ब्लॉग में जानते हैं माँ महागौरी की पूजा विधि, महत्व और कथा के बारें में।
माँ महागौरी कथा
माँ महागौरी के संबंध में ऐतिहासिक रूप से दो कथाएं प्रचलित है पहली कथा के अनुसार माँ पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी जिसके कारण उनके शरीर पर धुल-मिट्टी पड़ जाने से उनका शरीर मैला और काला पड़ गया था अपनी तपस्या को पूर्ण कर उन्होंने गंगा नदी के जल से खुद को स्वच्छ किया जिससे उनका रूप पुनः निखर गया।
दूसरी कथा के अनुसार शुम्भ-निशुम्भ नामक राक्षसों का वध करने के लिए माँ पार्वती ने महाकाली का रूप धारण किया उनके तेज से उनका रूप इतना काला हो गया की उसे दोबारा प्राप्त करने के लिए उन्होंने तपस्या की तो उन्हें मानसरोवर में स्नान करने के लिए कहा गया, मानसरोवर झील के पावन जल से स्नान करने पर माता को अपनी छवि फिर से प्राप्त हो गई तभी उन्हें कौशिकी भी कहा जाता है।
पूजन विधि और महत्व
1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. माता की प्रतिमा को गंगाजल से स्वच्छ करें।
3. माता को सफ़ेद वस्त्र और पुष्प अर्पित करें।
4. रोली, कुमकुम चढाएं और कन्याओं के लिए बनाएं हुए प्रशाद का भोग लगाएं।
5. माँ का ध्यान कर दुर्गासप्तशती का पाठ करें
6. आरती का पूजा संपन्न करें फिर विधि विधान से कन्या पूजन करें।
ज्योतिष के अनुसार माँ महागौरी की पूजा से राहु ग्रह के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति हर प्रकार के भय से मुक्त हो जाता है साथ ही माँ अपने भक्तों की इच्छाओं की पूर्ति भी करती हैं।
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
आरती
जय महागौरी जगत की माया। जय उमा भवानी जय महामाया॥
तीसरी कनखल के पास। महागौरी तेरा वहा निवास॥
चन्द्रकली और अम्मा ममताबे। जय शक्ति जय जय माँ जगदम्बे॥
भीमा देवी विमला माता। कौशिक देवी जग विख्याता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप। महाकाली दुर्गा है संदर्भ तेरा॥
सती (सत) हवन कुंड में जलाया गया था। उसी खराब ने काली बनायी॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया। तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया। शरणागतिवाले का विनाशया॥
शनिवार को वाणी पूजा जो करता है। माँ बिगड़ी काम उसकी सुताता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो। महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥
चैत्र नवरात्रि की महाअष्टमी की आप सभी को हमारी ओर से ढेरों शुभकामनाएं।
जय माँ महागौरी!