नवरात्र के सातवे दिन करे माँ कालरात्रि की उपासना

नवरात्र के सातवे दिन करे माँ कालरात्रि की उपासना

चैत्र नवरात्री का सातवां दिन 28-03-2023 को है। नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा जाती है। शुंभ और निशुंभ राक्षसों को मारने के लिए माँ कालरात्रि के रूप में पुनर्जन्म लेने वाली माँ पार्वती के क्रूर रूप में जाना जाता है।

 

मां कालरात्रि कथा
एक बार शुंभ और निशुंभ नाम के राक्षसों ने अपने अनुयायी को मां पार्वती को लाने के लिए भेजा। माँ पार्वती ने भेजे गए राक्षसों को मारने के लिए कोयले के सामान गूढ़ रंग वाली माँ कालरात्रि का पुनर्जन्म लिया। वह क्रोधी प्रवृति से राक्षसों द्वारा भेजे गए दूतों का वध करती चली गयी रक्तबीज उनमें से एक है जिनके धरती पर खून की एक-एक बूंद से नए राक्षसों को जन्म मिलने का वरदान था। मां कालरात्रि ने राक्षस का वध कर, अपने कई रूप धारण कर उसके रक्त को पीती चली गयी। अंत में उन्होंने शुंभ और निशुंभ नामक राक्षसों का वध किया। माँ कालरात्रि के लिए किया गया उपवास भक्तों को शनि ग्रह के दुष्प्रभाव से सुरक्षित रखता है! उन्हें रात की रानी नामक पुष्प अतिप्रिय है



व्रत संकल्प (मंत्र)
ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्राह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे, अमुकनामसम्वत्सरे (भक्त का नाम वर्ष सहित) चैत्रशुक्लप्रतिपदि अमुकवासरे (भक्त का नाम) प्रारभमाणे नवरात्रपर्वणि एतासु नवतिथिषु अखिलपापक्षयपूर्वक-श्रुति-स्मृत्युक्त-पुण्यसमवेत-सर्वसुखोपलब्धये संयमादिनियमान् दृढ़ं पालयन् अमुकगोत्रः (भक्त का गोत्र)
अमुकनामाहं (भक्त का नाम) भगवत्याः दुर्गायाः प्रसादाय व्रतं विधास्ये।
नोट: अमुक के स्थान पर नाम, गोत्र और वर्ष अवश्य लिखें!


अर्थ 
ॐ विष्णु, विष्णु, विष्णु, आज, युग के अगले भाग में, श्री श्वेतवराह कल्प में, जम्बू द्वीप में, भारत देश में, अमुकनाम, (भक्त का नाम) संवत्सर,(वर्ष)
चैत्र शुक्ल प्रतिपदी अमुकवासर, (भक्त का नाम) नवरात्र पर्व) मैं देवी दुर्गा की कृपा के लिए व्रत रखूंगा / रखूंगी।
नोट: अमुक की जगह नाम, गोत्र और वर्ष याद रखें!
मंत्र
ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

आरती
कालरात्रि जय जय महाकाली। काल के मुंह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा। महाचंडी तेरा अवतारा॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा। महाकाली है तेरा पसारा॥
खड्ग खप्पर रखने वाली। दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा। सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी। गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदन्ता और अन्नपूर्णा। कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी। ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवे। महाकाली माँ जिसे बचावे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह। कालरात्रि माँ तेरी जय॥
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