नवरात्रि के पांचवें दिन माँ दुर्गा के स्कंदमाता स्वरुप का पूजन किया जाता है, इस वर्ष नवरात्रि का पांचवा दिन 7 अक्टूबर, सोमवार के दिन पड़ रहा है। माँ स्कंदमाता को मोक्ष का द्वार खोलने वाली देवी कहा जाता है, यह देवी पार्वती का मातृत्व स्वरुप है क्योंकि भगवान स्कंद जिनका एक अन्य नाम कार्तिकेय भी है उनकी माता बनने के बाद ही यह स्वरुप स्कंदमाता के नाम से विख्यात हुआ।
माता शेर की सवारी करती है, उनकी चार भुजाएं है और उनकी गोद में भगवान स्कंद विराजमान होते हैं। माँ दुर्गा के स्कंदमाता स्वरुप की विधि-विधान से की गई पूजा भक्तों को शुभ परिणाम देती है।
पूजा विधि
1. सुबह जल्दी स्वच्छ होकर नीले रंग के वस्त्र धारण करें।
2. माता को सिन्दूर, पुष्प और अक्षत अर्पित करें।
3. मंत्रो का उच्चारण कर धूप, दीप जलाएं।
4. माँ स्कंदमाता की आरती करें।
5. दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशी का पाठ करें।
6. माता को भोग लगाएं।
7. श्रद्धाभाव से प्रार्थना कर पूजा संपन्न करें।
माँ स्कंदमाता के इन मंत्रो का जाप करें
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नम:
संतान प्राप्ति के लिए माँ स्कंदमाता की पूजा का विशेष महत्व
भक्तों द्वारा माँ स्कंदमाता की पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और विशेष रूप से जो दंपति माता-पिता बनने की चाह रखते हैं उन्हें स्कंदमाता की पूजा जरूर करनी चाहिए। माँ की कृपा से बुद्धि और ज्ञान का विकास होता है और ज्योतिष के अनुसार बुध ग्रह माँ स्कंदमाता द्वारा शासित किया जाता है इसलिए माता की अराधना से बुध ग्रह के दुष्प्रभाव भी दूर होते है।
स्कंदमाता को प्रिय है यह भोग
परिवार की सुख शांति के लिए नवरात्रि के पांचवें दिन माँ स्कंदमाता को केले और बताशे का भोग अवश्य लगाएं साथ ही माता की पूजा करते हुए लाल रंग का पुष्प भी अवश्य अर्पित करें।
माँ स्कंदमाता का आशीर्वाद आप पर सदैव बना रहें। जय माता दी!