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कब है धनतेरस 2025? इस दिन क्या खरीदें और क्या न खरीदें

धनतेरस, जिसे धन त्रयोदशी भी कहा जाता है, भारत में दिवाली उत्सव की शुरुआत का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। यह पर्व स्वास्थ्य, धन और समृद्धि की प्राप्ति का प्रतीक है। लोग इस दिन अपने घरों और व्यवसायों में सुख-समृद्धि और शुभता के लिए विशेष पूजा करते हैं। 

 

धनतेरस हर वर्ष हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की अमावस्या से दो दिन पूर्व, त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। धनतेरस का मुख्य आकर्षण धन की देवी मां लक्ष्मी और धातु से बने आयुर्वेदिक और स्वास्थ्य संबंधी उत्पादों की पूजा है। 

 

धनतेरस 2025 की तिथि और समय  

 

वर्ष 2025 में धनतेरस का पर्व शनिवार, 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन त्रयोदशी तिथि दोपहर के समय से शुरू होगी और अगले दिन तक रहेगी।

 

1. पुण्यकाल/शुभ मुहूर्त: सुबह 07:15 बजे से शाम 8:19 बजे तक

 

2. ध्यान दें: इस अवधि के दौरान की गई किसी भी पूजा या खरीदारी को विशेष रूप से शुभ-फलदायक माना जाता है।

 

ज्योतिष और वास्तुशास्त्र के अनुसार यह दिन विशेष रूप से सोना, चांदी, और धातु के बर्तन या आभूषण खरीदने के लिए शुभ होता है। साथ ही इस दिन स्वास्थ्य के लिए जरूरी दवाइयों और उपकरणों की खरीद भी लाभदायक मानी जाती है।

 

धनतेरस क्यों मनाया जाता है?

 

धनतेरस का पर्व दो प्रमुख कारणों से मनाया जाता है:

 

1. धन और समृद्धि का उत्सव:

 

धनतेरस का दिन विशेष रूप से धन की देवी मां लक्ष्मी के सम्मान में मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी घर आती हैं और जिन घरों में शुभ कार्य होता है और खरीदारी की जाती है, उन्हें विशेष आशीर्वाद मिलता है।

 

2. आरोग्य और स्वास्थ्य का महत्व:

 

"तेरस" तिथि का विशेष महत्व स्वास्थ्य और आयुर्वेदिक उपचार के लिए भी माना जाता है। पुराने समय से लोग इस दिन धातु और जड़ी-बूटी के आयुर्वेदिक उपकरण खरीदते आए हैं, ताकि उनके परिवार में रोग और अशुभता से बचाव हो।

 

धनतेरस पर क्या खरीदें?

 

धनतेरस पर शुभ माने जाने वाली खरीदारी के लिए कुछ प्रमुख वस्तुएँ हैं:

 

1. सोने-चांदी के आभूषण

 

     धनतेरस पर सोना और चांदी के आभूषण खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है।

 

     सोने की अंगूठियाँ, हार और ब्रेसलेट विशेष रूप से लाभकारी माने जाते हैं।

 

    चांदी के बर्तन, मूर्तियाँ और सिक्के भी घर में सुख-समृद्धि और धन वृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं।

 

2. धातु के बर्तन और उपयोगी उपकरण

 

धातु से बने बर्तन और घर के उपयोगी सामान भी इस दिन खरीदना शुभ होता है।

 

     तांबे या पीतल के बर्तन

 

     चांदी के गिलास और थाली

 

     लोहे या स्टील के घरेलू उपकरण

 

3. इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और औषधियाँ

 

धनतेरस के दिन धन की देवी माँ लक्ष्मी के साथ-साथ आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की भी पूजा की जाती है, अतः यह दिन अच्छे स्वास्थ्य का भी प्रतीक माना गया है। इस दिन स्वास्थ्य से जुड़ी चीजें खरीदना लाभकारी माना जाता है।

 

     आयुर्वेदिक दवाइयाँ

 

     चिकित्सा उपकरण जैसे थर्मामीटर, BP मशीन आदि

 

    इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदना शुभ माना जाता है, क्योंकि इससे घर में स्थायी समृद्धि और पॉजिटिव ऊर्जा आती है।

 

4. सिक्के और धन से जुड़ी चीजें

 

धनतेरस पर धातु के सिक्के या गणेश एवं लक्ष्मी जी की मूर्तियाँ खरीदना भी शुभ माना जाता है। यह परिवार में धन और सुख-समृद्धि लाने का प्रतीक है।

 

5. झाड़ू खरीदना

 

इस दिन सम संख्या में झाड़ू खरीदना भी शुभ माना जाता है, क्योंकि लोकमान्यताओं के अनुसार झाड़ू को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है।

 

धनतेरस पर क्या न खरीदें?

 

धनतेरस पर कुछ चीज़ों को खरीदने से बचना भी शुभ माना जाता है।

 

1. टूटी-फूटी चीज़ें: इस दिन खराब या टूटी हुई वस्तुएँ खरीदना अशुभ माना जाता है।

 

2. कर्ज़ से खरीदी गई वस्तुएँ: अगर आप किसी चीज़ को उधार लेकर खरीदते हैं, तो यह लाभ में बाधा डाल सकती है।

 

3. अनावश्यक खर्च: धनतेरस का दिन बुद्धिमानी और समझदारी से खर्च करने का होता है।

 

4. लेकिन ध्यान रखें - धारदार चीज़ें जैसे चाकू और कैंची न खरीदें, वरना नकारात्मकता घर में प्रवेश कर सकती है।

 

धनतेरस पर सही वस्तुएँ खरीदना न केवल शुभ होता है, बल्कि यह परिवार में खुशहाली और स्वास्थ्य का प्रतीक भी बनता है।

 

धनतेरस पूजा विधि

 

धनतेरस पर पूजा करने का तरीका सरल और प्रभावशाली होता है:

 

1. साफ-सफाई और सजावट: घर को अच्छे से साफ करें और दरवाजे पर मंत्रित तिलक या रंगोली बनाएं।

 

2. मूर्ति स्थापना: मां लक्ष्मी और भगवान धनवंतरि की मूर्तियाँ या तस्वीर रखें।

 

3. दीप प्रज्वलन: पूजा की जगह पर दीप जलाएं और ध्यान करें।

 

4. धन की पूजा: सोने, चांदी या धातु की वस्तुएँ रखें और उनका पूजन करें।

 

5. प्रसाद: पूजा के बाद परिवार और मित्रों में मिठाई का प्रसाद बांटें।

 

इस दिन खरीदारी के समय विशेष मंत्र और शुभ मुहूर्त का पालन करने से धन और सुख की वृद्धि होती है।

 

धनतेरस का आध्यात्मिक महत्व

 

1. धनतेरस केवल भौतिक समृद्धि का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक उन्नति और स्वास्थ्य का पर्व भी है।

 

2. मां लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में संतुलन और शांति आती है।

 

3. धनतेरस पर की गई खरीदारी और दान-पुण्य, विशेष रूप से गरीब और जरुरतमंदों में, घर और समाज में सकारात्मक ऊर्जा लाती है।

 

4. यह दिन हमारे भूत, वर्तमान और भविष्य के लिए सुख-समृद्धि का संदेश देता है।

 

एस्ट्रोसाइंस परिवार की ओर से आप सभी को धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं।

 

निष्कर्ष

 

वर्ष 2025 में धनतेरस का शुभ पर्व 18 अक्टूबर, शनिवार को मनाया जाएगा और सुबह 07:15 बजे से शाम 08:19 बजे तक का समय पूजा एवं खरीदारी के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन सोना-चांदी, धातु के बर्तन, झाड़ू तथा स्वास्थ्य संबंधी वस्तुएं खरीदना समृद्धि व सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। वहीं कुछ वस्तुओं से इस दिन परहेज करना चाहिए, जैसे टूटी-फूटी चीजें, कर्ज लेकर की गई खरीदारी और धारदार वस्तुएं जैसे चाकू-कैंची आदि। सही वस्तुओं की खरीदारी एवं श्रद्धापूर्वक पूजा करने से घर में सुख-शांति और धन की वृद्धि होती है।

 

FAQs – धनतेरस 2025

 

Q1: धनतेरस पर खरीदारी का सबसे शुभ समय कौन सा है?

 

A1: धनतेरस 2025 में दोपहर 12:15 बजे से शाम 5:45 बजे तक का समय शुभ माना गया है। इस समय में सोना, चांदी और धातु की वस्तुएँ खरीदना विशेष लाभकारी होता है।

 

Q2: क्या धनतेरस पर इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ खरीदना शुभ है?

 

A2: पारंपरिक रूप से धनतेरस पर सोना, चांदी, धातु और स्वास्थ्य से जुड़ी वस्तुएँ ही शुभ मानी जाती हैं। लेकिन आधुनिक समय में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी घर में समृद्धि और सुविधा लाने का प्रतीक माने जाते हैं।

 

Q3: क्या बिना कुछ खरीदें भी धनतेरस की पूजा की जा सकती है?

 

A3: हाँ, बिना किसी खरीददारी के भी धनतेरस की पूजा की जा सकती है। केवल दीप प्रज्वलन, माँ लक्ष्मी जी की आराधना और घर की साफ-सफाई से भी धन, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।

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