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दशहरा 2025: जानें तिथि, मुहूर्त, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

भारत में हर पर्व केवल आनंद और उत्सव का अवसर नहीं होता, बल्कि यह जीवन के गहरे सत्य और संदेश भी लेकर आता है। इन्हीं महान पर्वों में से एक है दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। वर्ष 2025 में यह पर्व 2 अक्टूबर, गुरुवार को मनाया जाएगा।

 

इस वर्ष 2025 का दशहरा धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत विशेष है। यह पर्व हमें भगवान राम की विजय और माँ दुर्गा की शक्ति की याद दिलाता है।

 

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दशहरा का धार्मिक और पौराणिक महत्व

 

भगवान राम की विजय

 

रामायण के अनुसार, जब रावण ने माता सीता का अपहरण किया, तब भगवान राम ने हनुमान, लक्ष्मण और वानर सेना की सहायता से लंका पर चढ़ाई की। अंततः आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को भगवान राम ने रावण का वध कर धर्म की रक्षा की। यही दिन विजयादशमी कहलाया।

 

यह कथा केवल धार्मिक कहानी नहीं, बल्कि यह हमें सिखाती है कि अहंकार और अन्याय चाहे कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, धर्म और सत्य की शक्ति से उसका नाश निश्चित है।

 

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माँ दुर्गा की विजय

 

दशहरा का संबंध नवरात्रि से भी है। नवरात्रि के नौ दिनों तक माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवें दिन यानी दशहरा को देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक असुर का वध किया था। इसीलिए इस दिन को देवी की विजय का दिन भी माना जाता है।

 

इस प्रकार दशहरा भगवान राम और माँ दुर्गा दोनों की विजय का पर्व है, यह दिन देवत्व और धर्म की जीत का उत्सव है।

 

दशहरा हमें यह संदेश देता है कि हमें केवल बाहरी रावण को ही नहीं, बल्कि अपने भीतर छिपे क्रोध, लोभ, अहंकार और हिंसा को भी समाप्त करना चाहिए।

 

दशहरे की परंपराएँ और उत्सव

 

1. रावण दहन

 

सबसे प्रमुख परंपरा है रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन। यह आयोजन देशभर में बड़े पैमाने पर होता है। दिल्ली की रामलीला मैदान, वाराणसी, लखनऊ, कोलकाता और अन्य शहरों में भव्य कार्यक्रम होते हैं।

 

2. रामलीला का मंचन

 

दशहरे से पहले नौ दिनों तक रामलीला का मंचन किया जाता है। इसमें भगवान राम के जीवन की घटनाओं को नाटकीय रूप में दिखाया जाता है। यह नाटक न केवल मनोरंजन करता है बल्कि धार्मिक और नैतिक मूल्यों की शिक्षा भी देता है।

 

3. शस्त्र पूजा

 

कई समुदायों में दशहरे के दिन शस्त्रों और औज़ारों की पूजा की जाती है। किसान अपने हल-बैल की पूजा करते हैं, सैनिक अपने शस्त्रों की, और व्यापारी अपने खातों-बही की। यह परंपरा बताती है कि साधन चाहे कोई भी हों, उनका प्रयोग हमेशा धर्म और कल्याण के लिए होना चाहिए।

 

4. अपराजिता पूजा और सीमोल्लंघन

 

कुछ क्षेत्रों में अपराजिता देवी की पूजा और सीमोल्लंघन की परंपरा भी है। इसमें लोग गांव या नगर की सीमाओं से बाहर जाकर नए अवसरों की खोज का प्रतीकात्मक संदेश देते हैं।

 

दशहरा: क्षेत्रीय विविधताएँ

 

भारत विविधताओं से भरा देश है और दशहरा भी अलग-अलग राज्यों में अलग तरीकों से मनाया जाता है।

 

1. उत्तर भारत: रामलीला और रावण दहन प्रमुख आकर्षण हैं।

 

2. पश्चिम बंगाल: यहाँ दशहरा को विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है। दुर्गा पूजा की प्रतिमाओं का विसर्जन इसी दिन होता है।

 

3. गुजरात: नवरात्रि की नौ रातें गरबा और डांडिया के लिए प्रसिद्ध हैं, और दशहरे के दिन विशेष उत्सव होते हैं।

 

4. महाराष्ट्र: यहाँ लोग शमी के पत्ते (सोना पत्ती) एक-दूसरे को बांटकर समृद्धि की शुभकामनाएँ देते हैं।

 

5. दक्षिण भारत: यहाँ दशहरा को शिक्षा और कला के उत्सव के रूप में भी देखा जाता है। बच्चे इस दिन नए विषयों की शुरुआत करते हैं।

 

आधुनिक समय में दशहरे का महत्व

 

आज के दौर में दशहरे का महत्व और भी बढ़ गया है। हम देख रहे हैं कि समाज में हिंसा, भ्रष्टाचार, लालच और असमानता जैसी समस्याएँ बढ़ रही हैं। ऐसे में दशहरा हमें याद दिलाता है कि -

 

1. हमें अपने भीतर के रावण को जलाना होगा।

 

2. हमें समाज को न्यायपूर्ण और नैतिक बनाना होगा।

 

दशहरा से मिलने वाली सीख

 

1. सत्य की शक्ति: भगवान राम ने दिखाया कि सत्य की जीत निश्चित है।

 

2. धर्म: राम ने धर्म का पालन किया। उनका संदेश यह है कि बिना धर्म और नैतिकता के जीत अधूरी है।

 

3. आंतरिक बुराइयों पर विजय: रावण केवल बाहर नहीं, बल्कि हमारे भीतर भी है -अहंकार, ईर्ष्या, क्रोध और लोभ के रूप में।

 

4. नैतिक समाज का निर्माण: जब हर व्यक्ति अपने भीतर की बुराई को समाप्त करेगा, तभी एक आदर्श और न्यायपूर्ण समाज बनेगा।

 

निष्कर्ष

 

2 अक्टूबर 2025 का दिन वास्तव में अद्वितीय है। इस दिन हम एक साथ महान संदेशों को याद करेंगे -

 

दशहरा: बुराई पर अच्छाई की विजय।

 

दशहरा हमें सिखाता है कि बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंत में हारती है। इसलिए इस वर्ष का दशहरा केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि एक अवसर है, अपने भीतर और समाज की बुराइयों को समाप्त करने का, और सत्य, धर्म तथा अहिंसा के मार्ग पर चलने का।

 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

 

प्रश्न 1: दशहरा 2025 में कब है?

 

उत्तर: दशहरा 2025 का पर्व 2 अक्टूबर 2025, गुरुवार को मनाया जाएगा।

 

प्रश्न 2: इस बार दशहरा विशेष क्यों है?

 

उत्तर: इस वर्ष दशहरा धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत खास है।

 

प्रश्न 3: दशहरे से हमें क्या सीख मिलती है?

 

उत्तर: इससे हमें यह सिख मिलती है कि बुराई पर अच्छाई, असत्य पर सत्य और हिंसा पर अहिंसा की विजय होती है। हमें अपने भीतर के अहंकार, लोभ और क्रोध को समाप्त करके सत्य और नैतिकता का पालन करना चाहिए।

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