हनुमान जयंती राम भक्त हनुमान जी को समर्पित सबसे महत्वपूर्ण हिन्दू त्यौहारों में से एक है, जो उनकी भक्ति, शक्ति और निष्ठा का प्रतीक है। पूरे भारत और दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी यह त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के पांच दिन बाद पूर्णिमा तिथि पर हनुमान जी का अवतरण हुआ था। हनुमान जी भगवान राम के न सिर्फ परम भक्त थे बल्कि एक निस्वार्थ सेवक भी माने जाते हैं। 2025 में इस बार हनुमान जयंती 12 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस ब्लॉग में हम आपको तारीख, समय, महत्व और हनुमान जी की जन्म कथा के साथ-साथ जयंती की व्रत विधि और अनुष्ठान को भी बताएंगे ताकि भक्तों को त्यौहार को भक्ति और श्रद्धा के साथ मनाने में मदद मिल सके।
हनुमान जयंती 2025: तिथि और समय
हनुमान जयंती हिंदू महीने चैत्र की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। 2025 में हनुमान जयंती इस दिन मनाई जाएगी:
● तारीख: शनिवार, 12 अप्रैल, 2025
● पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 11 अप्रैल, 2025, रात 11:25 बजे
● पूर्णिमा तिथि समाप्त: 12 अप्रैल, 2025, रात 11:54 बजे
हनुमान जयंती पूजा करने का सबसे शुभ समय मध्याह्न (दोपहर) के दौरान होता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान हनुमान का जन्म सूर्योदय के समय हुआ था।
हनुमान जयंती का महत्व
हनुमान जयंती का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है:
1. भक्ति के प्रतीक: हनुमान जी भगवान राम के परम भक्त हैं। उनकी अटूट निष्ठा और निस्वार्थ सेवा लाखों लोगों को भक्ति और भगवान के प्रति समर्पण करने के लिए प्रेरित करती है। बुराई का नाश करने वाले हनुमान की शक्ति और साहस बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक हैं। उन्होंने भगवान राम की विजय और राक्षसराज रावण के अंत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
2. शक्ति और बुद्धि के दाता: हनुमान जी की पूजा करने से शारीरिक शक्ति, मानसिक लचीलापन और बुद्धि प्राप्त होती है। उन्हें संकट मोचन (संकटों को दूर करने वाले) के रूप में भी जाना जाता है।
3. आध्यात्मिक विकास: उपवास और प्रार्थना के साथ हनुमान जयंती मनाने से भक्तों की समस्त बाधाएँ दूर होती हैं और आध्यात्मिक मार्ग पर प्रगति करने में मदद मिलती है।
भगवान हनुमान जी की जन्म कथा
भगवान हनुमान जी का जन्म चमत्कारों और आशीर्वाद से भरी एक दिव्य कथा है। उनका जन्म किष्किंधा नरेश महाराज केसरी और माता अंजना के यहाँ हुआ था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, पूर्व जन्म में माता अंजना का नाम पुंजिकस्थली था, और वे देवलोक में इंद्रदेव की सभा की एक सुंदर अप्सरा थीं। दुर्वासा ऋषि के श्राप के कारण उन्हें वानरी रूप में जन्म लेना पड़ा और इस श्राप के प्रभाव से, उन्होंने वानरराज केसरी से विवाह किया, और उनके गर्भ से हनुमान जी का जन्म हुआ। हालाँकि, उनका जन्म दैवीय रूप से हुआ था। किंवदंतियों के अनुसार, माता अंजना और महाराज केसरी ने भगवान शिव से एक बच्चे के लिए प्रार्थना की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर, भगवान शिव ने उन्हें एक पुत्र दिया जो उनकी शक्ति (रुद्र अवतार) का अवतार होगा। एक अन्य संस्करण में कहा गया है कि जब राजा दशरथ ने बच्चों के लिए पुत्रकामेष्टि यज्ञ किया, तो पवित्र खीर (पायसम) का एक हिस्सा एक पतंग द्वारा ले जाया गया और जहाँ अंजना ध्यान कर रही थीं, वहाँ गिरा दिया गया। इसे खाने से, उन्होंने हनुमान को गर्भ में धारण किया।
जन्म और प्रारंभिक जीवन
भगवान हनुमान जी का जन्म चैत्र पूर्णिमा को अंजनेरी (नासिक, महाराष्ट्र के पास) में सूर्योदय के समय हुआ था, यही कारण है कि उन्हें अंजनेय भी कहा जाता है। एक बच्चे के रूप में, वे बहुत शरारती और शक्तिशाली थे। एक बार सूर्य को फल समझकर वे उसकी ओर उड़ गए, जिससे इंद्र क्रोधित हो गए और उन्होंने उन पर वज्र से प्रहार किया। इससे भगवान हनुमान के जबड़े पर स्थायी चोट लग गई (हनु का अर्थ है जबड़ा, इसलिए इनका नाम हनुमान पड़ा)। भगवान हनुमान के आध्यात्मिक पिता भगवान वायु (पवन देवता) क्रोधित हो गए और उन्होंने ब्रह्मांड से हवा वापस ले ली। उन्हें शांत करने के लिए, देवताओं ने हनुमान को अमरता, शक्ति और दिव्य शक्तियों का आशीर्वाद दिया।
रामायण में हनुमान की भूमिका
हनुमान के जीवन को तब सच्चा उद्देश्य मिला जब वे भगवान राम से मिले और उनके सबसे बड़े भक्त बन गए। उन्होंने लंका में सीता को ढूँढने, अपनी जलती हुई पूँछ से लंका को जलाने, लक्ष्मण को पुनर्जीवित करने के लिए संजीवनी बूटी लाने तथा युद्ध में भगवान राम और लक्ष्मण की रक्षा करने जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में अहम भूमिका निभाई। उनकी अद्वितीय भक्ति और वीरतापूर्ण कार्य उन्हें विश्वास और साहस का शाश्वत प्रतीक बनाते हैं।
हनुमान जयंती व्रत विधि (अनुष्ठान और उपवास नियम)
भक्त हनुमान जयंती को उपवास, प्रार्थना और हनुमान चालीसा के पाठ के साथ मनाते हैं। यहाँ व्रत (उपवास) और पूजा करने के लिए चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका दी गई है:
1. व्रत की तैयारी
कई भक्त पूरे दिन का उपवास रखते हैं, केवल फल और पानी का सेवन करते हैं। कुछ आंशिक उपवास चुनते हैं, अनाज और मांसाहारी भोजन से परहेज करते हैं। सुबह जल्दी स्नान करें और साफ (अधिमानतः लाल या नारंगी) कपड़े पहनें। एक साफ मंच पर भगवान हनुमान की मूर्ति या छवि रखें। तिल के तेल या घी से दीया जलाएँ।
2. हनुमान पूजा अनुष्ठान
भगवान हनुमान को बेसन के लड्डू, बूंदी, गुड़, केले और पानकम (गुड़ का पानी) चढ़ाएँ। भगवान हनुमान की मूर्ति पर सिंदूर लगाएँ और लाल फूल चढ़ाएँ। अगरबत्ती जलाएँ और भक्ति भाव से आरती करें।
3. मंत्र और हनुमान चालीसा का जाप करें
हनुमान चालीसा (हनुमान की स्तुति करने वाले 40 छंद) का कम से कम 11 बार पाठ करें।
“ओम श्री हनुमते नमः” का 108 बार जाप करें। सुंदर कांड (रामायण का एक भाग जो हनुमान की वीरता पर प्रकाश डालता है) पढ़ें।
4. व्रत तोड़ना
सूर्यास्त के बाद, शाम की आरती करें। परिवार और भक्तों को प्रसाद बाँटें। ज़रूरतमंदों को भोजन, कपड़े या पैसे दान करें।
5. आशीर्वाद के लिए विशेष अनुष्ठान
हनुमान मंदिर जाएं और चमेली का तेल, सिंदूर और फूल चढ़ाएं। सुरक्षा के लिए लाल पवित्र धागा (मोली) बांधें और पीपल के पेड़ की पूजा करें। यदि संभव हो तो शक्ति और साहस के लिए बजरंग बाण का पाठ अवश्य करें।
निष्कर्ष
हनुमान जयंती 2025 शक्ति, साहस और कठिनाइयों से सुरक्षा के लिए भगवान हनुमान का आशीर्वाद प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। भक्ति के साथ व्रत का पालन, हनुमान चालीसा का पाठ और निस्वार्थ सेवा करके, भक्त हनुमान जी की दिव्य कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
हनुमान जयंती से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. इस साल हनुमान जयंती कब मनाई जाएगी?
इस बार हनुमान जयंती 12 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी।
2. मंगलवार का दिन ही हनुमान जी के लिए विशेष क्यों माना जाता है?
क्योंकि मंगलवार के दिन ही हनुमान जी का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन हनुमान जी की विशेष पूजा की जाती है।
3. हनुमान जी किसके भक्त थे?
हनुमान जी भगवान राम के भक्त थे और उन्होंने भगवान राम जी का साथ देकर माता सीता को रावण से आजाद करवाया था।
4. हनुमान जी को इस दिन किस चीज का भोग लगाना चाहिए?
हनुमान जी को बूंदी के लड्डू अत्यंत प्रिय हैं इसलिए आप बूंदी या उससे बने लड्डू का भोग लगाएं।
5. हनुमान जी के माता-पिता का क्या नाम था?
हनुमान जी की माता का नाम अंजना और पिता का नाम केसरी था।