maa siddhidatri

चैत्र नवरात्रि 2025 का नौवां दिन – माँ सिद्धिदात्री की पूजा, महत्व और शुभ मुहूर्त

चैत्र नवरात्रि, मां दुर्गा और उनके नौ दिव्य रूपों की आराधना का नौ दिवसीय पर्व, नवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा के साथ समाप्त होता है। यह दिन, जिसे कुछ क्षेत्रों में राम नवमी के रूप में भी मनाया जाता है, नवरात्रि उत्सव का अंतिम और अत्यंत शुभ दिन माना जाता है। भक्त मां सिद्धिदात्री , जो अलौकिक शक्तियों और आध्यात्मिक सिद्धियों की दाता हैं, से सफलता, ज्ञान और दैवीय कृपा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

 

इस ब्लॉग में हम चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन के महत्व, मां सिद्धिदात्री से जुड़ी रीति-रिवाजों, पूजा का शुभ मुहूर्त और इस पवित्र दिन की आध्यात्मिक गहराई को जानेंगे।

 

मां सिद्धिदात्री कौन हैं?

 

मां सिद्धिदात्री नवरात्रि के नौवें दिन पूजी जाने वाली दुर्गा माँ का नौवां और अंतिम रूप हैं। उनका नाम संस्कृत के दो शब्दों "सिद्धि" (अलौकिक शक्तियाँ) और "दात्री" (दान करने वाली) से मिलकर बना है। वह दिव्य माता हैं जो अपने भक्तों को सिद्धियाँ प्रदान करती हैं और उनकी मनोकामनाएँ पूर्ण करती हैं।

 

2025 में नवमी पूजा का शुभ मुहूर्त

 

चैत्र नवरात्रि 2025 में नवमी तिथि 6 अप्रैल 2025, रविवार को पड़ रही है।

 

नवमी तिथि समय:

 

प्रारंभ: 5 अप्रैल 2025, रात 11:14 बजे

 

समाप्त: 6 अप्रैल 2025, रात 9:11 बजे

 

पूजा का श्रेष्ठ समय (शुभ मुहूर्त):

 

सुबह पूजा: 6:00 AM – 10:00 AM

 

मध्याह्न पूजा: 12:00 PM – 3:00 PM

 

शाम आरती: 6:30 PM – 8:00 PM

 

ब्रह्म मुहूर्त (4:00 AM – 6:00 AM) में पूजा करना आध्यात्मिक रूप से अत्यंत फलदायी माना जाता है।

 

मां सिद्धिदात्री की प्रतिमा

 

● उन्हें कमल या सिंह पर आसीन दर्शाया जाता है, जो शुद्धता और शक्ति का प्रतीक है।

 

उनके चार हाथ हैं, जिनमें गदा, चक्र, कमल और शंख विराजमान हैं।

 

उनकी शांत और करुणामयी मुद्रा परम आध्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष का प्रतिनिधित्व करती है।

 

मां सिद्धिदात्री की पौराणिक कथा

 

हिंदू शास्त्रों के अनुसार, मां सिद्धिदात्री की पूजा त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) भी करते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने उनकी कृपा से अर्धनारीश्वर रूप प्राप्त किया, जो ब्रह्मांड में नर और नारी ऊर्जा के संतुलन को दर्शाता है। देवी भागवत पुराण और मार्कंडेय पुराण में उन्हें परम देवी के रूप में वर्णित किया गया है, जो आठ मुख्य सिद्धियाँ (अष्ट सिद्धियाँ) और नौ निधियाँ प्रदान करती हैं।

 

नवरात्रि के नौवें दिन का महत्व

 

अब हम आपको मां सिद्धिदात्री के पूजन से जुड़े महत्व के बारे में बताएंगे।

 

सिद्धियों की दाता – भक्त मां सिद्धिदात्री की आराधना करके आध्यात्मिक ज्ञान और अलौकिक शक्तियाँ प्राप्त करते हैं।

 

मनोकामनाओं की पूर्ति – इस दिन सच्ची भक्ति से भौतिक और आध्यात्मिक इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।

 

माया पर विजय – मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों को माया (भ्रम) से मुक्त कर आत्मज्ञान प्रदान करती हैं।

 

राम नवमी की तैयारी – कई क्षेत्रों में यह दिन राम नवमी के साथ मिलकर दोगुना पुण्यफल देने वाला होता है।

 

मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि

 

इस दिन भक्त कठोर आध्यात्मिक अनुशासन का पालन करते हैं और विशेष पूजा करते हैं।

 

1. नवमी हवन

 

● कलश (पवित्र घड़ा) की पूजा की जाती है और वैदिक मंत्रों के साथ हवन किया जाता है।

 

घी, फल, फूल और मिठाई अग्नि में अर्पित की जाती है।

 

2. कन्या पूजन (कंजक)

 

● नौ कन्याओं (दुर्गा के नौ रूपों के प्रतीक) को आमंत्रित कर उनकी पूजा की जाती है।

 

उन्हें हलवा, पूरी, चना और उपहार भेंट किए जाते हैं।

 

3. सिद्धिदात्री पूजा विधि

 

प्रसाद: लाल फूल, नारियल, फल और मिठाई।

 

● मंत्र जाप: "ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥" सिद्धिदात्री स्तोत्र और दुर्गा सप्तशती का पाठ।

 

आरती: "या देवी सर्वभूतेषु" आरती गाई जाती है।

 

4. व्रत और दान

 

● कई भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और पूजा के बाद ही भोजन करते हैं।

 

जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और दान देना पुण्यकारी माना जाता है।

 

मां सिद्धिदात्री की पूजा के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक लाभ

 

ध्यान और एकाग्रता बढ़ाती हैं – उनकी ऊर्जा ध्यान और अंतर्ज्ञान को गहरा करती है।

 

बाधाएँ दूर करती हैं – वह कर्मिक ब्लॉक और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती हैं।

 

आंतरिक शक्ति प्रदान करती हैं – भक्तों को जीवन में साहस और स्पष्टता मिलती है।

 

चक्रों को संतुलित करती हैं – उनकी कृपा से सहस्रार चक्र (मुकुट चक्र) सक्रिय होता है, जो उच्च चेतना की ओर ले जाता है।

 

निष्कर्ष

 

चैत्र नवरात्रि का नवमी दिन मां सिद्धिदात्री की कृपा पाने का एक दिव्य अवसर है, जो आध्यात्मिक शक्तियों और पूर्णता की दाता हैं। भक्तिपूर्वक पूजा, मंत्र जाप और दान करके भक्त भौतिक समृद्धि और आध्यात्मिक मुक्ति दोनों प्राप्त कर सकते हैं। नवरात्रि 2025 के समापन पर, आइए मां सिद्धिदात्री की कृपा को अपने जीवन में धारण करें और ज्ञान, शांति आत्मज्ञान की ओर अग्रसर हों।

 

माँ सिद्धिदात्री से जुड़े सवाल जवाब (FAQs)

 

1. माँ सिद्धिदात्री का पूजन किस दिन किया जाएगा?

 

माँ सिद्धिदात्री का पूजन 6 अप्रैल, 2025 रविवार के दिन किया जाएगा।

 

2. माँ सिद्धिदात्री पूजन और राम नवमी एक ही दिन मनाए जाएँगे?

 

जी हाँ, राम नवमी और सिद्धिदात्री पूजन एक ही दिन मनाया जाएगा क्योंकि इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था।

 

3. माँ सिद्धिदात्री के नाम का क्या अर्थ है?

 

माँ सिद्धिदात्री का नाम संस्कृत के दो शब्दों "सिद्धि" (अलौकिक शक्तियाँ) और "दात्री" (दान करने वाली) से मिलकर बना है।

 

4. माँ सिद्धिदात्री का वाहन कौन सा है?

 

माँ सिद्धिदात्री सिंह की सवारी करती हैं।

 

5. माँ सिद्धिदात्री को प्रसन्न करने के लिए कौन से मंत्र का जाप करना चाहिए?

 

माँ सिद्धिदात्री को प्रसन्न करने के लिए आप " देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥" मंत्र का जाप कर सकते हैं।

Back to blog