जन्म कुंडली में 12 घर और उनसे जुड़े राशि स्वामी और ग्रह- विशेष ही हमारे जीवन की महत्वपूर्ण चीज़ों को निर्धारित करते है। इसके अलावा, यदि वास्तुनुसार, दिन, नक्षत्र, और राशि को ध्यान में रख कर, वैदिक शास्त्र के अनुसार इनका अनुपालन न किया जाएं तो यह विपरीत फलदायक होते हैं। ग्रह- विशेष एक निश्चित कार्यकाल के लिए जन्म कुंडली के घरों में रहते है। और व्यक्ति को उसी अनुसार फल प्राप्त होते है। ग्रहों का शुभ और अशुभ होना इसी से निर्धारित होता है।
आज के इस ब्लॉग में हम जन्म- कुंडली में क़र्ज़ से जुड़े ग्रहों का विश्लेषण करेंगे। और जानेंगे इससे जुड़े उपाय।
क़र्ज़ से जुड़ा ग्रह और निवारण हेतु कुंडली के घर
छठा घर - जन्म कुंडली में कोई भी ग्रह बैठा हो यह क़र्ज़ का कारण बन जाता है यदि यह घर खाली हो तो कर्ज़ा मिलता ही नहीं है। और इसमें उपस्थित ग्रह का शुभ होना अत्यधिक क़र्ज़ का कारक हैं।
आठवाँ घर - यह क़र्ज़ के निवारण हेतु महत्वपूर्ण घर है इसमें उपस्थित ग्रह का विश्लेषण कर और इससे जुड़ी चीज़ों का दान खर्चो को नियंत्रित करने में सहायक हैं और क़र्ज़ निवारण में भी मददगार हैं।
दूसरा घर - यदि इसमें कोई शुभ ग्रह स्थापित है तो अपने शुभ ग्रहों से जुड़ी चीज़ों की पोटली बना कर उत्तर- पूर्व या उत्तर- पश्चिम में रखें।
चौथा घर -यदि इसमें कोई ग्रह अशुभ है तो धनतेरस पर इस ग्रह से जुड़ी चीज़ों का दान करें। यदि यह खाली है तो आपको अपने चार शुभ ग्रहों से जुड़ी चीज़ें ताम्बे की थाली में स्थापित कर माँ लक्ष्मी जी के चित्र के सामने रख सकते हैं। आप यदि कुबेर जी की पूजा करते हैं, तो आप उनका चित्र भी स्थापित कर सकते हैं।
ग्रहों से जुड़े देवी- देवता - सूर्य ग्रह के शुभ फल भगवान विष्णु की आराधना से प्राप्त होते हैं, और मंगल ग्रह की कृपा के लिए हनुमान जी की पूजा की जाती हैं। बुध ग्रह को माँ दुर्गा की पूजा-आराधना से उत्तम रखा जाता हैं।गुरु ग्रह के लिए भगवान शिव या अपने आदरणीय गुरु को प्रणाम कर सकते है। चंद्र ग्रह को भगवान शिव संचालित करते है। और शुक्र ग्रह को माँ लक्ष्मी। इसके अलावा, शनि शुभ बटुक भैरव और राहु अशुभ काल- भैरव। केतु ग्रह के लिए गणपति जी पूजनीय हैं।
निष्कर्ष
सूर्य, मंगल चंद्र और बृहस्पति में से किसी एक ग्रह का शुभ होना आवश्यक हैं। इन ग्रहों पर आधारित उत्तर- पश्चिम और उत्तर- पूर्व और दक्षिण दिशा में इनकी वस्तुएँ रखना शुभ फलदायक हैं।