देवी स्कंदमाता

नवरात्रि का पाचवां दिन है देवी स्कंदमाता को समर्पित।

इस साल चैत्र नवरात्रि का पांचवां दिन 13 अप्रैल 2024 को है जो की मातारानी के पांचवें स्वरुप स्कंदमाता को समर्पित होता है। माँ दुर्गा का स्कंदमाता अवतार अत्यंत सहज और आलौकिक है उनकी चार भुजाएं है जिनमें से दो हाथो में कमल और सफ़ेद पुष्प होता है जिसके कारण उन्हें पद्मासना भी कहा जाता है, माता शेर पर सवार रहती हैं उनकी गोद में बालक स्कंद यानी कार्तिकेय होते है।आइए एस्ट्रोसाइंस के इस विशेष लेख में जानते हैं देवी स्कंदमाता से जुड़ी पौराणिक कथा, पूजा विधि और पूजा के महत्व के बारे में।

पौराणिक कथा

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार तारकासुर नामक राक्षस ने घोर तपस्या कर ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया, जब ब्रह्मा जी उसके सामने प्रकट हुए तो उसने अमर होने का वरदान मांगा जिसपर ब्रह्मा जी ने कहा की जो जन्मा है उसकी मृत्यु भी निश्चित है वो कभी अमर नहीं हो सकता, ये सुनकर तारकासुर सोच में पड़ गया और ब्रह्मा जी से दोबारा वरदान मांगा की उसकी मृत्यु सिर्फ भगवान भोलेनाथ के पुत्र के हाथो से ही हो, ब्रह्मा जी ने भी उसे यह वरदान दे दिया। राक्षस तारकासुर जानता था की भोलेनाथ कभी विवाह नहीं करेंगे तो उनकी कोई संतान ही नहीं होगी जिसके चलते उसने खुद को अमर समझकर अपनी शक्तियों से हर जगह आतंक मचाना शुरू कर दिया, जिससे सभी देवतागणों ने भयभीत होकर भगवान भोलेनाथ के पास जाकर उनसे गुहार लगाई।
भोलेनाथ ने माता पार्वती से विवाह किया और उनके पुत्र स्कंद यानी कार्तिकेय का जन्म हुआ, कार्तिकेय को युद्ध का प्रशिक्षण देने के लिए माँ पार्वती ने स्कंदमाता का रूप लिया और अंत में कार्तिकेय ने तारकासुर से युद्ध कर उसका विनाश किया।

पूजा विधि और महत्व

1. सुबह स्नान कर स्वच्छ पीले या सफ़ेद रंग वस्त्र पहने।
2. मंदिर को गंगाजल या स्वच्छ जल से साफ़ करें।
3. माता की फोटो या मूर्ति को कुमकुम, अक्षत, फूल अर्पित करें।
4. स्कंदमाता की स्तुति और मंत्र का जाप करें।
5. दीप प्रज्वलित करके आरती करने के बाद माता को मिठाई का भोग लगाएं।
6. दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

जिन लोगो को संतान प्राप्ति में बाधा आ रही है उनके लिए मातारानी के स्कंदमाता स्वरुप की विधि-विधान एवं सच्चे मन से पूजा करने पर संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी होती है इसलिए माता की पूजा का बहुत महत्व है ज्योतिष के अनुसार स्कंदमाता की पूजा से कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होता है जो की कुंडली का शक्तिशाली ग्रह माना जाता है साथ ही माँ अपने भक्तों को बुद्धि, प्रेम और मोक्ष का आशीर्वाद भी देती है।

स्तुति

या देवी सर्वभूतेषु स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

स्‍कंदमाता की आरती

जय तेरी हो स्‍कंदमाता
पांचवा नाम तुम्हारा आता
सब के मन की जानन हारी
जग जननी सब की महतारी
तेरी ज्योत जलाता रहू में
हरदम तुम्हे ध्याता रहू मै
कई नामो से तुझे पुकारा
मुझे एक है तेरा सहारा
कही पहाड़ो पर है डेरा
कई शेहरो मै तेरा बसेरा
हर मंदिर मै तेरे नजारे
गुण गाये तेरे भगत प्यारे
भगति अपनी मुझे दिला दो
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो
इन्दर आदी देवता मिल सारे
करे पुकार तुम्हारे द्वारे
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये
तुम ही खंडा हाथ उठाये
दासो को सदा बचाने आई
‘चमन’ की आस पुजाने आई
जय तेरी हो स्‍कंदमाता

चैत्र नवरात्री के पांचवें दिवस की हमारी ओर से आप सभी को ढेरों शुभकामनाएं।
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