maa chandraghanta 2025

शारदीय नवरात्रि 2025 - जानें माँ चंद्रघंटा का स्वरूप और महत्व

भारत में नवरात्रि केवल एक पर्व ही नहीं, बल्कि आस्था, भक्ति और शक्ति की उपासना का अद्भुत संगम है। माँ दुर्गा के नौ रूपों की आराधना करने का यह पावन पर्व हर साल शारदीय नवरात्रि के रूप में विशेष महत्व रखता है। नवरात्रि के तीसरे दिन माँ दुर्गा के चंद्रघंटा रूप की पूजा की जाती है। यह दिन साधक को साहस, शांति और विजय का वरदान देता है।

 

शारदीय नवरात्रि 2025 का तीसरा दिन 24 सितंबर 2025, बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन भक्तजन माँ चंद्रघंटा की पूजा कर उनके आशीर्वाद से अपने जीवन से भय, तनाव और बाधाओं को दूर करने का संकल्प लेते हैं।

 

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माँ चंद्रघंटा का स्वरूप और महत्व

 

माँ दुर्गा का तीसरा स्वरूप है - चंद्रघंटा। उनके मस्तक पर अर्धचंद्र के आकार की स्वर्णिम घंटी शोभा पाती है, इसी कारण उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। माँ का यह रूप शांति, साहस और करुणा का प्रतीक है।

 

माँ चंद्रघंटा के दस हाथ हैं और वे शेर पर सवार रहती हैं। उनके एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे में गदा, तीसरे में कमल, चौथे में धनुष, पाँचवे में तीर, छठे में तलवार, सातवें में खड्ग, आठवें में घंटा और नौवें में कमल पुष्प होता है। उनका दसवां हाथ अभय मुद्रा में होता है, जो भक्तों को भयमुक्त करने का संदेश देता है। मान्यता है कि माँ का यह रूप साधकों को आत्मविश्वास देता है और जीवन की हर बाधा से रक्षा करता है।

 

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शारदीय नवरात्रि 2025 - माँ चंद्रघंटा पूजा का दिन और मुहूर्त

 

तिथि – 24 सितंबर 2025, बुधवार

 

पर्व – नवरात्रि का तीसरा दिन (माँ चंद्रघंटा पूजा)

 

माँ चंद्रघंटा पूजन मुहूर्त - प्रातःकाल और दिन का मध्य भाग सबसे उत्तम माना गया है। यदि कोई विशेष पूजा करना चाहे तो अभिजीत मुहूर्त (11:44 AM - 12:32 PM) में करना श्रेष्ठ रहेगा।

 

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माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि

 

माँ चंद्रघंटा की पूजा करते समय श्रद्धा और भक्ति का भाव सबसे महत्वपूर्ण है। पूजा की विधि इस प्रकार है:

 

1. स्नान और शुद्धिकरण - प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें।

 

2. माँ का आह्वान - माँ चंद्रघंटा की प्रतिमा या चित्र को चौकी पर स्थापित करें।

 

3. पूजन सामग्री - रोली, अक्षत, धूप, दीपक, पुष्प, फल, मिठाई और गंगाजल रखें।

 

4. मंत्र जाप - "ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः।" इस मंत्र का 108 बार जप करें।

 

5. आरती और भोग - खीर, दूध से बनी मिठाई, गुड़ और फल चढ़ाएं। घी का दीपक जलाकर आरती करें।

 

6. ध्यान और प्रार्थना - माँ चंद्रघंटा का ध्यान कर प्रार्थना करें कि जीवन से भय और शत्रु बाधाएं समाप्त हों और सुख-समृद्धि प्राप्त हो।

 

माँ चंद्रघंटा की उपासना का महत्व

 

1. भय से मुक्ति - जो साधक माँ चंद्रघंटा की पूजा करता है, वह कभी भी भयभीत नहीं होता।

 

2. साहस और आत्मविश्वास - कठिन परिस्थितियों में भी मनोबल बनाए रखने की शक्ति प्राप्त होती है।

 

3. शांति और सौभाग्य - परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

 

4. कुंडली दोषों का शमन - ज्योतिष शास्त्र में भी मान्यता है कि माँ चंद्रघंटा की उपासना से ग्रह दोष शांत होते हैं।

 

माँ चंद्रघंटा की पूजा में क्या चढ़ाएं?

 

1. सुनहरे या पीले रंग के फूल

 

2. गुड़ और दूध से बनी मिठाई

 

3. धूप और दीपक

 

4. अनार या सेब जैसे फल

 

5. घंटी (घंटे की ध्वनि माँ को अत्यंत प्रिय है)

 

माँ चंद्रघंटा की कथा

 

पुराणों में उल्लेख है कि जब असुरों ने देवताओं पर आक्रमण किया, तब माँ दुर्गा ने चंद्रघंटा रूप धारण किया। उनके मस्तक पर घंटे के समान अर्धचंद्र था। उनकी गर्जना और घंटा ध्वनि से असुर भयभीत हो गए। इस रूप में माँ ने दैत्यों का संहार कर देवताओं को विजय दिलाई।

 

इसलिए माँ चंद्रघंटा का स्वरूप शक्ति और युद्ध की देवी माना जाता है। भक्तों का विश्वास है कि उनकी उपासना से शत्रुओं पर विजय और जीवन में सफलता निश्चित मिलती है।

 

साधना और विशेष उपदेश

 

1. नवरात्रि के तीसरे दिन साधक को दिनभर संयम और सात्त्विक आहार का पालन करना चाहिए।

 

2. पूजा में लाल या पीले रंग का प्रयोग अधिक शुभ माना जाता है।

 

3. रात्रि में "जय माँ चंद्रघंटा" का कीर्तन करने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है।

 

4. माँ की कृपा से साधक को आध्यात्मिक शांति और मानसिक शक्ति प्राप्त होती है।

 

माँ चंद्रघंटा और साधक का जीवन

 

माँ का यह स्वरूप विशेषकर उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, जिन्हें अपने जीवन में डर, चिंता, तनाव या बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।

 

1. विद्यार्थी को पढ़ाई में एकाग्रता मिलती है।

 

2. नौकरीपेशा लोगों को कार्यस्थल पर सफलता प्राप्त होती है।

 

3. गृहस्थ जीवन में सुख और शांति आती है।

 

4. आध्यात्मिक साधक को ध्यान और साधना में सिद्धि मिलती है।

 

निष्कर्ष

 

शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा की भक्ति का दिन है। 24 सितंबर 2025, बुधवार को भक्त पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा करेंगे। यह दिन हर भक्त के जीवन से भय को दूर कर साहस, शांति और सफलता का वरदान देगा।

 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

 

Q1. माँ चंद्रघंटा की पूजा किस दिन करनी है?

 

माँ चंद्रघंटा की पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है। शारदीय नवरात्रि 2025 में यह दिन 24 सितंबर 2025, बुधवार को है।

 

Q2. माँ चंद्रघंटा की पूजा में कौन-सा भोग सबसे प्रिय है?

 

माँ चंद्रघंटा को खीर, दूध से बनी मिठाइयाँ और गुड़ का भोग अति प्रिय है।

 

Q3. माँ चंद्रघंटा की पूजा से क्या लाभ मिलता है?

 

इस पूजा से भय, चिंता और नकारात्मकता दूर होती है। साधक को साहस, आत्मविश्वास, शांति और विजय का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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