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शारदीय नवरात्रि 2025 - माँ स्कंदमाता की आराधना से मिलती है सफलता

शारदीय नवरात्रि का पाँचवाँ दिन माँ दुर्गा के पाँचवें स्वरूप माँ स्कंदमाता को समर्पित होता है। माँ स्कंदमाता, कार्तिकेय (स्कंद) की माता होने के कारण इस नाम से जानी जाती हैं। इनकी उपासना भक्तों को विशेष आशीर्वाद, शांति और समृद्धि प्रदान करती है। शास्त्रों में वर्णन है कि इस दिन श्रद्धालु माँ स्कंदमाता का पूजन कर जीवन में सुख, संतान-सौभाग्य और धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष की प्राप्ति करते है।

 

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माँ स्कंदमाता पूजा 2025 का शुभ मुहूर्त

 

1. पूजा की तिथि - 27 सितम्बर 2025 (शनिवार)

 

2. पंचमी तिथि प्रारंभ - 26 सितम्बर 2025, रात्रि 09:28 बजे

 

3. पंचमी तिथि समाप्त - 27 सितम्बर 2025, रात्रि 07:55 बजे

 

4. पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय (अभिजीत मुहूर्त) - दोपहर 11:50 से 12:38 तक

 

5. दिन का शुभ समय - प्रातःकाल और संध्या वेला

 

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माँ स्कंदमाता का स्वरूप

 

माँ स्कंदमाता को अति तेजस्विनी और करुणामयी माता के रूप में जाना जाता है। इनकी चार भुजाएँ होती हैं, दो हाथों में कमल पुष्प, एक हाथ से पुत्र स्कंद को गोद में थामे हुए और चौथा हाथ भक्तों को आशीर्वाद देने की मुद्रा में रहता है। माँ का वाहन सिंह है, और इन्हें अक्सर कमल पर विराजमान दर्शाया जाता है। इस कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है।

 

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माँ स्कंदमाता की महिमा

 

शास्त्रों में माँ स्कंदमाता की महिमा का बड़ा ही सुंदर वर्णन मिलता है। माँ स्कंदमाता को करुणा और मातृत्व का साकार स्वरूप माना गया है। इनकी पूजा करने से भक्त को संतान सुख की प्राप्ति होती है। जिन दंपत्तियों के जीवन में संतान की प्राप्ति नहीं हो पाती या संतान संबंधी कठिनाइयाँ बनी रहती हैं, उनके लिए माँ स्कंदमाता की आराधना विशेष फलदायी होती है।

 

माँ स्कंदमाता की कृपा से न केवल संतान सुख मिलता है, बल्कि संतान का भविष्य भी उज्ज्वल और सुरक्षित बनता है। इनके पूजन से बुद्धि, विवेक और ज्ञान में वृद्धि होती है। साधक का मन स्थिर और एकाग्र होता है, जिससे वह जीवन के कठिन निर्णय भी सही ढंग से ले पाता है।

 

जो व्यक्ति नियमित रूप से माँ की भक्ति करता है, उसके घर-परिवार में शांति और समृद्धि बनी रहती है। कलह और मतभेद दूर होते हैं तथा परिवार में प्रेम और सौहार्द का वातावरण स्थापित होता है। माँ स्कंदमाता की पूजा से भक्त को सांसारिक बाधाओं से मुक्ति मिलती है। जीवन की कठिनाइयाँ धीरे-धीरे समाप्त होती हैं और सुख-समृद्धि का मार्ग खुलता है।

 

सबसे महत्वपूर्ण यह है कि ध्यान और भक्ति भाव से माँ का पूजन करने वाला साधक मोक्ष की प्राप्ति की ओर अग्रसर होता है। वह आत्मिक शांति और परम आनंद का अनुभव करता है। इस प्रकार माँ स्कंदमाता की उपासना केवल सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति तक सीमित नहीं रहती, बल्कि यह साधक को आध्यात्मिक उत्थान की ओर भी ले जाती है।

 

माँ स्कंदमाता की पूजा विधि

 

1. प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।

 

2. पूजन स्थल को गंगाजल से शुद्ध कर माँ स्कंदमाता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

 

3. माँ को पीले या सफेद पुष्प अर्पित करें।

 

4. धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित कर “ॐ देवी स्कंदमातायै नमः” मंत्र का जाप करें।

 

5. माँ को केले और गुड़ का भोग लगाना विशेष शुभ माना जाता है।

 

6. संतान की कुशलता और परिवार की मंगलकामना की प्रार्थना करें।

 

माँ स्कंदमाता के मंत्र और स्तुति

 

बीज मंत्र - “ॐ देवी स्कंदमातायै नमः।”

 

माँ स्कंदमाता स्तोत्र पाठ -

 

"या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।"

 

नियमित रूप से इस मंत्र और स्तुति का जाप करने से जीवन में संतुलन और शांति बनी रहती है।

 

माँ स्कंदमाता की उपासना का महत्व

 

माँ स्कंदमाता की पूजा केवल संतान प्राप्ति या संरक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह साधना आध्यात्मिक उन्नति का भी मार्ग खोलती है। माना जाता है कि जब साधक माँ की उपासना करता है तो वह अनाहत चक्र (हृदय चक्र) को सक्रिय करता है, जिससे उसके भीतर करुणा, प्रेम और आत्मिक संतुलन बढ़ता है।

 

धार्मिक कथा

 

शास्त्रों के अनुसार, देवासुर संग्राम के समय जब देवताओं की शक्ति क्षीण हो गई थी, तब माँ दुर्गा ने स्कंद (कार्तिकेय) को जन्म दिया। स्कंद ने आगे चलकर देवताओं का नेतृत्व किया और असुरों का विनाश किया। इसी कारण माँ दुर्गा को स्कंदमाता के रूप में पूजित किया जाता है। इस दिन की पूजा संतान की रक्षा और उनके उत्तम भविष्य के लिए अत्यंत फलदायी मानी जाती है।

 

माँ स्कंदमाता के पूजन से जुड़ी मान्यताएँ

 

1. संतान सुख की अभिलाषा रखने वाले दंपति इस दिन माँ की विशेष पूजा करें।

 

2. साधक को इस दिन ब्रह्मचर्य और सात्त्विक आहार का पालन करना चाहिए।

 

3. यह दिन शक्ति साधना और ध्यान के लिए भी श्रेष्ठ है।

 

4. माँ की पूजा से पारिवारिक कलह और मानसिक तनाव दूर होते हैं।

 

माँ स्कंदमाता पूजा 2025 - समाज और संस्कृति में महत्व

 

भारतीय समाज में नवरात्रि केवल पूजा-पाठ का पर्व नहीं है, बल्कि यह संस्कृति, आस्था और शक्ति का उत्सव है। गाँवों और नगरों में भव्य झांकियाँ निकाली जाती हैं। मंदिरों में विशेष अनुष्ठान होते हैं। माँ स्कंदमाता की कथा और महिमा का श्रवण भक्तों को प्रेरित करता है कि मातृत्व केवल संतान पालन तक सीमित नहीं, बल्कि यह त्याग, धैर्य और संरक्षण का प्रतीक है।

 

निष्कर्ष

 

27 सितम्बर 2025 को पड़ने वाली माँ स्कंदमाता पूजा, शारदीय नवरात्रि का अत्यंत पावन दिन है। इस दिन श्रद्धा-भक्ति से माँ स्कंदमाता की उपासना करने से न केवल संतान सुख मिलता है, बल्कि जीवन में समृद्धि और आत्मिक शांति भी स्थापित होती है। नवरात्रि का यह दिन हमें यह संदेश देता है कि मातृत्व की शक्ति संसार की सबसे महान शक्ति है।

 

FAQs

 

Q1. माँ स्कंदमाता की पूजा किसके लिए विशेष फलदायी है?

 

माँ स्कंदमाता की पूजा विशेषकर संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्तियों और संतान की कुशलता चाहने वाले परिवारों के लिए अत्यंत लाभकारी मानी जाती है।

 

Q2. पूजा के लिए कौन सा प्रसाद अर्पित करना शुभ माना जाता है?

 

माँ स्कंदमाता को केले और गुड़ का भोग लगाना विशेष शुभ माना जाता है। इससे संतान सुख और घर-परिवार में शांति आती है।

 

Q3. 2025 में माँ स्कंदमाता पूजा कब है?

 

शारदीय नवरात्रि का पाँचवाँ दिन, माँ स्कंदमाता पूजा 27 सितम्बर 2025 (शनिवार) को मनाई जाएगी। पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय प्रातःकाल और अभिजीत मुहूर्त रहेगा।

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