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कैसे बनें कामयाब ज्योतिषी? - गुरुदेव जी.डी. वशिष्ठ से जानें सफलता के मंत्र

Home > Learn Astrology Guide > कैसे बनें कामयाब ज्योतिषी? - गुरुदेव जी.डी. वशिष्ठ से जानें सफलता के मंत्र

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गुरुदेव जी.डी. वशिष्ठ
Jan 03

कैसे बनें कामयाब ज्योतिषी? - गुरुदेव जी.डी. वशिष्ठ से जानें सफलता के मंत्र

Jan 03

माता रानी के आशीर्वाद से, भोलेनाथ को पूज–पूज के आज यहाँ तक पहुँचा हूँ और यह सब किया, लेकिन योगों की बात करते हैं, अभी एक बात हो रही थी, केतु की। केतु कितना अच्छा है, यह तो आपने जाना। लेकिन एक केतु का बहुत ही बुरा योग भी है। और वो बुरा योग क्या है? आप देखते हैं ना कि हम यात्रा करने गए, परमात्मा के दर्शन करने गए, खाई में बस गिरी, सारे खत्म हो गए। हवाई–जहाज पर गए, हवाई–जहाज क्रैश हुआ, सारे मर गए, ये खतरनाक केतु, यह काम करता है।

 

यह कर्म कब करता है?

 

यह कर्म करता है जब शुक्र और केतु छठें घर के अंदर हो और मंगल और राहु 12वें घर के अंदर हो, तो ये उस जातक की कुंडली का योग होता है कि यह परिवार नहीं तो परिवार से बड़े कुनबें को लेकर के खाई में गिरेगा और मरेगा। ये इतना गंदा योग है। लेकिन यह सिर्फ एक योग है, लाल किताब के अंदर अगर आप अरमान और फरमान पढ़ेंगे, तो वहाँ एक बहुत बड़ी बात लिखी हुई है कि केतु अगर जिस ग्रह के ऊपर दृष्टि डाल रहा है, उस ग्रह के फल को वो बहुत खराब करेगा। लेकिन ऐसा भी हो जाता है कि केतु लग्न में बैठा हो और सातवें घर के अंदर पाँच ग्रह हो, और पाँच ग्रहों के पहले अलग–अलग फल खराब और उसके बाद कोंबिनेशन के फल खराब, यह किसने लिखना था। ये आजतक किसी ने लिखा नहीं, लेकिन परमात्मा ने चाहा तो अगले साल आप सब को यह लिखा हुआ मिलेगा। 

 

यह भी पढ़ें: लाल किताब ज्योतिष रहस्य और उपाय

 

योगों की बात करें, तो लाल–किताब एक बात बोलती है कि जिस जातक का बुध अच्छा, उसका सब कुछ अच्छा। जिस जातक का बुध खराब, उसका सब कुछ खराब; सब कुछ। क्योंकि किसी भी चीज की शुरुआत हमारी बुद्धि से होती है। बुध अच्छा होगा तो बुद्धि अच्छी होगी। बुध तेज चालाक होगा तो बुद्धि तेज चालाक होगी और चालाक शब्द बुरा नहीं है बेटा, हर कामयाब इंसान को चालाक हुए बिना कामयाबी मिल ही नहीं सकती। बस वो अपनी चालाकी को मीठेपन के जामें के अंदर पहनाकर चलता है, इतना ही फर्क है और जब आप किसी को चीट करने के लिए चालाकी करते हैं तो उसका वो चालाकी वाला भाव समझ आता है। तो कामयाब हर इंसान लगभग चालाक ही है, उसका बुध अच्छा है और पहले बुद्धि, बाद में हमारा शरीर, हमारा पूरा शरीर नसों पर खड़ा है, अगर ये हमारी हड्डियों पर खड़ा होता तो यह कब का गिर गया होता, कभी भी हड्डी टूटे और बेकार हो जाएगा। लेकिन हड्डी यहाँ टूट भी जाए तो शरीर बेकार नहीं होता। इसलिए पूरी लाल किताब के अंदर एक ही चीज समझाई गई है और वो है “बुध” और बुध अकेला भी कुछ नहीं कर सकता। बुध का परम मित्र राहु, जब तक ये बुध, राहु को इजाजत नहीं दे देता कि तू पॉजिटिव करंट निकाल या नेगेटिव करंट निकाल, तब तक कुंडली में बिल्कुल जान नहीं है। बुध अच्छा होकर बैठ भी गया और राहु खराब हुआ तो बेटा ऐसे में इंसान अपनी गृहस्थी तो चला सकता है, लेकिन दुनिया नहीं चला सकता और यह कैसे होता है? 

 

यह भी पढ़ें: लाल किताब उपाय आपकी वित्तीय स्थिरता बढ़ाएंगे

 

यह ऐसे होता है कि अगर जन्मकुंडली के अंदर शुक्र आगे हो, बुध पीछे हो तो आप समझ लीजिए कि आपकी जन्मकुंडली के अंदर पूरे जान और प्राण हैं, और आप कहीं तक की भी सक्सेस अपनी बुद्धि के सहारे पा सकते हो। अपनी बुद्धि के सहारे वो सक्सेस पा सकते हो, और अगर कहीं बुध आगे, शुक्र पीछे हुआ तो समझ लेना कि अब केतु आपके पास से कड़वे बोल बुलवा कर, नेगेटिव सोच दिलाकर और अपने आप को घमंड के अंदर चूर करके, आपको मास्टर बना कर आपको जिंदगी के अंदर कभी आगे नहीं बढ़ने देगा, इतना आसान है अपने आप को जानचना।

 

यह भी पढ़ें: एस्ट्रोसाइंस ऐप सटीक ज्योतिष भविष्यवाणियों और उपचारों के लिए

 

लाल किताब के उपाय

 

लाल किताब के उपायों का मतलब क्या है, यहाँ पर यह खोज की गई कि जन्म कुंडली के 12 खाने हैं और सारा खेल इसी चीज का है कि कौन–सा ग्रह कहाँ पर बैठा हुआ हो, और कहाँ पर उसको बिठाया जाए तो शुभ फल दे और कहाँ बैठा हो तो नेगेटिव फल देगा, तो ऐसी अवस्था के अंदर पहले जब मैं फरवाला में जाया करता था श्री जसवंत राय जी के पास, तो उनके पास कोई भी कुंडली दिखाने आया करता था, तो वो दो मिनट उसको ध्यान से देखकर कहते थे कि अच्छा चल जा, यह एक काम कर दे, तेरा काम हो जाएगा। जैसे – राहु, राहु खराब है; आदमी पुलिस, कोर्ट–कचहरी के चक्कर में पड़ गया और समय भी आ गया, महादशा या अंतर्दशा के जरिए, अब वो फँसा हुआ है, तो वो देखते थे कि हाँ, यह बुध आगे पीछे की थ्योरी के हिसाब से राहु खराब है। उनको अब क्या चाहिए था, आज की डेट में लाल किताब के ज्योतिषी बड़े आराम से बोलते हैं कि आठ किलो सिक्के के आठ टुकड़े जल प्रवाह कर दो; सत्य है, अच्छा उपाय है। लेकिन वो क्या करवाया करते थे, वो कहते थे अच्छा ऐसे कर दो ना, टोपाज के ब्लेड ले और ब्लेड लेकर उनको बीच में से तोड़ दे और उसके चार पीस लेकर के चलते पानी के अंदर बहा दे, तेरा कुछ नहीं बिगड़ेगा, जा तू मौज ले, घर पर कुछ नहीं होगा। 

 

हर एक चीज को ध्यान से सुनना, पढ़ना, गुरुओं का आशीर्वाद लेना और आत्ममंथन करके ज्ञान को उसमें पिरोकर के जब आप नए–नए उपाय या नए–नए योग निकालेंगे ना, उस दिन हम इस पूरे विश्व के अंदर सबसे बड़ी साइंस के ज्ञाता कहलाएंगे। और यह हमारे गुरुओं ने किया है, बस हमारा करना बाकी है। हमें प्रयास और करने हैं। फिर इसके अंदर सूर्य, बृहस्पति, भले ही अपनी राशियों में बहुत शुभ राशियों में अगर ये जन्म कुंडली के छठे, सातवें, दसवें, ग्याहवें घर के अंदर बैठ गए, तो उस कुंडली को लाल किताब बहुत बुरा मानती है। क्योंकि वो भी एक ही योग पर आधारित है। और वो योग क्या है? वो योग है शुक्र का योग, कि अगर शुक्र इनसे पहले से छठे घर के अंदर हो तो यह योग बेहद बुरा फल देगा, जो इंसान अपने आप को नहीं संभाल सकता, वो दुनिया के कामकाज और परिवार क्या संभालेगा। किसी का भी चेक करके देख लो, अगर यहाँ भी किसी का है तो। और अगर कहीं सूर्य, बृहस्पति इन घरों में इकठ्ठे बैठे हैं या अलग–अलग; और शुक्र कहीं सातवें से बाहरवें घर के अंदर हैं, तो वह आदमी जो चाहे वो बन सकता है। वह नौकरी में जाना चाहे, बिजनेस में जाना चाहे, राज नेता बनना चाहे, ज्योतिषी बनना चाहे, कुछ भी करना चाहे, उस इंसान को गुण मिलते हैं। और बहुत बढ़ता है। 

 

इसलिए मैं यह कहना चाहता हूँ कि जो लोग सिर्फ लाल किताब के अंदर एक–एक घर का सिर्फ फल पढ़ते हैं कि शुक्र यहाँ बैठकर क्या फल देगा, सूर्य यहाँ बैठकर क्या फल देगा, मंगल यहाँ बैठकर क्या फल देगा; बेटा वो प्राइमरी क्लास है। वहाँ तक पढ़ना बहुत जरूरी है, और उसी को सब कुछ मान लेना यह सबसे बड़ी बेवकूफी है। जब तक लाल किताब के लॉ की गहराई में जाकर तुम उसको साध नहीं लेते, तब तक लाल किताब के एस्ट्रोलॉजर बनना बेवकूफी है। वो वाला हाल हो जाएगा – “नीम हकीम खतरा-ए-जान”, बहुतों के साथ हो रहा है।

 

एक बार मैं धर्मशाला में था, तो एक छोटी–सी उम्र के एक बहुत बड़े पंडित जी बड़ी अकड़ के साथ मेरे साथ आए, कहते मैं भी लाल किताब करता हूँ। मैंने कहा की जी बहुत अच्छा, खुश रखे दाता। कहते मैंने एक नया उपाय बनाया है, मैंने कहा बहुत अच्छी बात है, इतनी छोटी–सी उम्र के अंदर इतना बड़ा कर्म, कहते मैंने एक नया उपाय बताया है कि लाल किताब कहती है कि जो भी ग्रह खराब हो, उसके जीवों की सेवा करो, और वो ठीक हो जाएगा। मैंने कहा हाँ, बिल्कुल लाल किताब यही बोलती है। कहते मैंने भी राहु आठ का एक उपाय बनाया है कि अगर लेड पानी में डालों तो वह जहर घोलता है। कहता मैंने लोगों के घरों में बिल्लियाँ रखवानी शुरू कर दी हैं। और उनको बड़ा लाभ हो रहा है। मैंने कहा बेटा, जरा मुझे वो एक एड्रेस तो दो, जिसका लाभ हुआ हो। लाल किताब बताती है हर ग्रह के जीव के बारे में, लेकिन लाल किताब यह बताती है जब राहु खराब हो तो केतु का उपाय करो, जब केतु खराब हो तो राहु का उपाय करो। मैंने कहा यह कौन भूल गया। मैंने कहा राहु खराब हो तो कुत्ता घर पर पलवाना चाहिए था, कि बिल्लियाँ पलवानी चाहिए थी।

 

तो समझाने का मतलब एक ही है बेटा, यह ज्ञान है, विज्ञान है। डॉक्टर इसके जरूर बनो, लेकिन अधूरे डॉक्टर नहीं, जो बनना है पूरे बनो। मत करो आज अपना नाम बड़ा, चलेगा। मत किसी को बताओ कि आप ही मास्टर हो, चलेगा। लेकिन जिस दिन यह बिना अपने आप को दिखावे के मोड़ में ले जाए बिना आप सच में मास्टर बन गए ना, बेटा आप स्टेज पर बोल रहे होंगे। और सामने लोग तालियाँ मार रहे होंगे। और अगर उस स्टेज पर पहुँचना है, तो आज झूठी वाहवाहीं नहीं करवानी। आज अपने आप को साबित नहीं करना, आज सिर्फ रियलिटी में किसी भी विद्या का कोई भी गुरु हो, उसके सामने नतमस्तक होकर के जो वो दे, उसको अपने एक्सपीरियंस में काउंट करो, अपने कर्म में काउंट करो, देखो फिर क्या मिलता है। बहुत कुछ मिलेगा। 

 

लेकिन आज मैं आपको बहुत बड़ा रहस्य बताने जा रहा हूँ और वो बहुत बड़ा रहस्य क्या है? यह बहुत बड़ा रहस्य है, वो रहस्य जो श्री राम जी की कुंडली में था, श्री कृष्ण जी की कुंडली में भी था। और जितने बहुत बड़े–बड़े रिसर्चर, साधु–महात्मा हुए हैं, जो उनकी कुंडलियों में रहस्य था, मैं आपको वो बताने जा रहा हूँ। और यहाँ से आपको पता चलेगा कि कौन वो लोग हैं जो दूसरों के दिलों पर राज कर सकते हैं, अपने ज्ञान–विज्ञान के बलबूते। 

 

जन्म कुंडली के अंदर लाल किताब के लॉ

 

जन्म कुंडली के अंदर लाल किताब के लॉ के अनुसार चंद्रमा का खराब होना। चंद्रमा, ये जब लाल किताब के लॉ के हिसाब से खराब होता है, ये शुरुआती उम्र में जो मर्जी करवाएँ, लेकिन जैसे–जैसे उम्र आगे बढ़ती है, यह इंसान को अंतर्मुखी बना देता है, नरम कर देता है, दयावान बना देता है। यही वह चंद्रमा है जिसने राम भगवान को शबरी के बेर खाने के लिए मजबूर कर दिया उनके इस भाव को देखकर। यही वो चंद्रमा है, जो श्री कृष्ण जी से सुदामा के पाँव धोकर के पिलवा गया। यही वो चंद्रमा है।

 

हालांकि भगवान अपनी–अपनी कुंडली खुद निर्धारित करके आते हैं। लेकिन वो धरती पर आए हैं तो कुंडली साथ ही लेके आए, भले ही वो अपनी मनमर्जी की लेकर आए तो अपनी लीलाएँ भी साथ में लेकर के आए। और यही वो चंद्रमा हैं, जिन्होंने गुरु नानक देव जी को सूच्चा सौदा करवा दिया। और ये सूच्चा सौदा क्या, आप में से कोई नहीं करना चाहता, ये जो भगवान हमारे जो इष्ट हैं, उन्होंने जो हमें सिखाया, क्या आप उन भावों के अंदर नहीं जाना चाहते। और अगर आप उनके इस भाव में ही ना जा सके, तो आप उनकी सच्ची संतानें कैसे हो सकती हैं, या उनका अनुसरण करने वाले कैसे हो सकते हैं। तो यह भाव अगर जन्म कुंडली के अंदर अच्छा चंद्रमा हो, वो इंसान सिर्फ अपने घमंड को त्याग दे, तो वो इस चंद्रमा को पा लेता है। लेकिन जिनकी जन्म कुंडली के अंदर यह चंद्रमा होता है, उनके अंदर जन्मजात यह गुण होता है, वो थोड़ी देर के लिए अटलपन में रहें तो बात अलग है, लेकिन जन्मजात उनमें होता है, और वो योग क्या है?

 

वो योग है जन्म कुंडली के पहले घर 1 से 6 के अंदर अगर बृहस्पति हो, 7 से 12 के अंदर अगर केतु हो, तो वो चाहे कर्क का, वृषभ का, किसी भी राशि का उच्च के स्थान पर बैठा हुआ चंद्रमा खराब ही होता है। उस इंसान की माँ को बचपन में जरूर तकलीफें भोगनी पड़ती हैं, उस इंसान को अपनी पुश्तैनी जमीन छोड़नी पड़ती है। उस इंसान की माँ तकलीफ पाती है, जमीन–जायदाद के मामले में बचपन अभावों में गुजरता है, लेकिन बढ़ती उम्र के साथ उसको वो जो परमात्मा का दया करने वाला जो उसके अंदर भाव मिला है ना, वो भाव के साथ वो जिंदगी के अंदर इतनी तरक्की पाता है कि बुढ़ापे के अंदर वो मीलों–मील की अश्रु लाइन के आगे चल रहा होता है, जब वो दुनिया से जाता है। ऐसा भाव देता है यह चंद्रमा। 

 

तो इस चंद्रमा को जब भी प्रडिक्ट करना है, अगर कोई माँ–बाप अपने बच्चे की कुंडली लेकर आए हैं, और बच्चे की उम्र अभी 24 साल से नीचे है, तो इसमें साफ तौर पर कहा जा सकता है कि माँ को पिता के दिए दुख नहीं तो पैसों के दुख जरूर भोगने को मिले होंगे। बच्चे का पढ़ाई–लिखाई में मन नहीं लगा होगा, और यह ढंग से पढ़ा नहीं होगा, कामयाबी नहीं मिली होगी अभी तक। यह आप कह सकते हो, लेकिन साथ में यह भी कह सकते हो कि अपनी जिंदगी में ये बहुत बड़ा विद्वान बनेगा, बहुत अच्छा कमाएगा, परिवार को बहुत अच्छा रखेगा, और जिंदगी के अंदर नाम कमा कर जाएगा। 

 

इसके पीछे एक और बहुत बड़ा लॉजिक है, जो आपको बताने जा रहा हूँ, आपने उस व्यापारी को भी न्यूज़ में देखा होगा, जो इंसान चौथी क्लास पास था, और जिसने लगभग हजारों को मकान गिफ्ट किए, और हजारों को गाड़ियाँ गिफ्ट की, सिर्फ चौथी क्लास पास। हीरे का व्यापारी सूरत का। ऐसे बहुत सारे व्यापारी जिनको मैं पर्सनली भी जानता हूँ, जिन्होंने जिंदगी के अंदर कभी दसवीं पास ही नहीं करी, आज वो अरबपति हैं। बहुत दान–पुण्य करते हैं। आपने वो लोग देखे होंगे, जो कॉलेज सिर्फ शौक के लिए गए, और पहले साल के अंदर कहा कि भाड़ में गया, हम तो पढ़कर पैदा हुए हैं, वापस आए और कामयाब हुए और बहुत बड़े–बड़े काम करके कामयाब हैं। ये सारे का सारा गुण सिर्फ उनको मिलता है जिनकी जन्म कुंडली के अंदर बृहस्पति पहले घरों में हो और केतु बाद के घरों में हो, बेटा वो ऐसे धनवान, कामयाब, नरम दिल, दान करने वाले लोग बन सकते हैं। यह लाल किताब का असूल हमेशा अपनी रगों में बसा कर रखना और इनसे भी जल्दी, बहुत जल्दी सब कुछ प्राप्त करने वाले लोग कौन होते हैं? जिनका बृहस्पति केतु चाहे पहले घरों में या अगले घरों में हो, यानी की कहने का मतलब है कि इस लॉ के हिसाब से चंद्रमा शुभ साबित हो रहा हो, तो ऐसे लोग अगर कहीं इंसान को इंसान समझ लें, भगवान को भगवान समझ लें और नौकर को भी गले लगाने की हिम्मत रखने लगे और दूसरों के दुख के अंदर भाव से समर्पित होने लगे, तो बेटा ये लोग जो खराब चंद्रमा वाले जितनी तरक्की करते हैं, उनसे कहीं ज्यादा तरक्की ये लोग कर सकते हैं। लेकिन इन लोगों को एक ही चीज मारती है और वो होता है इनका घमंड कि हम किसी से कम नहीं, ये तुच्छ है। ये हमारे आगे क्या है, इसका स्टैंडर्ड यहाँ है, इसको यही तक रख। हम इससे वास्ता नहीं रखते, हम उसके साथ बैठ कर बात करेंगे। जो लोग ऐसे करते हैं, ये शुभ चंद्रमा इस तरह का घमंड देता है।

 

अब आ जाते हैं बृहस्पति पर भी, बृहस्पति हमारे बुजुर्ग, हमारे संस्कार, हमारे घर के अंदर संस्कार, दैवीय गुण, भगवान के प्रति आस्था, घर के अंदर लाभ, मैरिड लाइफ के सुख सब कुछ तो देता है। लेकिन आप सब को मैं बता दूँ बेटा कि इस दुनिया के अंदर ज्यादातर लोगों का बृहस्पति खराब है, क्योंकि लाल किताब के अंदर बृहस्पति को खराब करने के लिए जितनी लॉ दिए गए हैं, इतने और किसी ग्रह को खराब करने के लिए लॉ नहीं दिए गए। सबसे ज्यादा लॉ बृहस्पति को खराब करने के लिए है। तो यही रीजन है, कि इस दुनिया के अंदर 80 प्रतिशत निर्भर लोग हैं, जो गरीब हैं, जो अपने आप को चलाते हैं सिर्फ। और सिर्फ 20 प्रतिशत वो लोग हैं, जो दुनिया को चलाने का माद्दा रखते हैं, हिम्मत रखते हैं, ज्ञान रखते हैं। और ये 80 प्रतिशत को एक ही समस्या है कि ये हालात वश अगर पापा डॉक्टर हैं, तो हमें भी डॉक्टर बनना है। अगर हमारा भाई खिलाड़ी है, तो मुझे भी खिलाड़ी बनना है। अगर हमारे चाचा प्रोफेसर हैं, तो हमें भी प्रोफेसर बनना है। ये इस माहौल से इंस्पायर हैं, और इनको पता ही नहीं होता कि ये धरती पर करने क्या आए हैं। ये बृहस्पति खराब वालों की खासतौर पर प्रॉब्लम है। और अगर कहीं बचपन में ही ये चीज जान ली जाए, और आज आपको मैं बहुत बड़ा खुलासा कर रहा हूँ फिर, ये मेरी रिसर्च में पहला चैप्टर जो आप सब को देखने को मिलेगा, यह वो देने जा रहा हूँ मैं और इस एक प्रीडिक्शन के जरिए आप जितने लोग बैठे हैं। चाहे जितने भी आप एस्ट्रोलॉजर हैं, मैं इतना कह सकता हूँ कि हमारी जीवन यात्रा संपूर्ण होने से पहले–पहले आप लाखों का भला तो कर चुके होंगे। ये मैं आपको वो सूत्र दे रहा हूँ। और वो क्या है? 

 

आप जिस महादशा में पैदा हुए हैं, भले ही दस दिन के बाद वो महादशा बदलने वाली है, और दो–चार महीनों रहते हो तो और अच्छा है, और अगर सारा ही समय पड़ा हो तो और अच्छा, आप जिस महादशा में पैदा हुए हो, उस महादशा का ग्रह चाहे वो खराब हो, वो जिस घर में बैठा हुआ है। उस ग्रह के उस घर से संबंधित जो भी काम हो, उस आदमी का लाइफ में वही प्रोफेशन बनेगा, कोई दूसरा नहीं बन सकता। इसके अंदर दूसरी बात, वो आदमी जिस अंतर्दशा के अंदर पैदा हुआ है, उस अंतर्दशा का ग्रह, अगर तो घर और राशि और लॉ के हिसाब से शुभ बैठा हुआ है, तो उस काम में जाकर वो आदमी अमीर बनेगा। और अगर उसका घर राशि के हिसाब से, लॉ के हिसाब से खराब है ग्रह, तो वो इंसान सिर्फ नौकर बनके जिएगा, मालिक नहीं बनके जिएगा। लोगों को नहीं पाल सकता। ये, आज ये बात इतनी सी हो गई, इसको खोजने में कितने सालों–साल लग गए, आप सोच नहीं सकते। और इस तरह का एक छोटा–सा सूत्र इंसान की जिंदगी पलट देता है, हमारी तो पलट गई जानने के बाद और बताने के बाद कितनों की पलट जाएगी। इस तरह से हमें इन्हीं चीजों की खोजें करके दुनिया को आगे बढ़ाना है, आगे लेकर जाना है, तभी तो गुरु कहलाओगे, तभी तो वो दिन आएगा, कि जिस दिन हमारे ऋषि–मुनि जो ज्योतिष लिखकर गए, उनकी गहराईयों में जाकर एक–एक चीज को खोज कर लिखा और लिखने के बाद जब वो स्वर्गों में गए, तो आज भी ऊपर से झांक रहे हैं कि भाई इनमें से और कौन–कौन काबिल निकलेगा, जो मेरे लिखे हुए को आगे बढ़ाएगा। तो क्या आप उनका काम नहीं करना चाहते? करना चाहते हो ना। तो बेटा अच्छा ये है ज्योतिष सम्मेलन में आओं और जिस तरह से मैं इन गुरुओं से पाके जाता हूँ, इसी तरह से आप भी पाके जाओ, आपकी बातों के लिए, मिलने–जुलने के लिए बहुत सारी दुनिया में बाहर जगह पड़ी है। सम्मेलनों में आओं तो ऐसे झोली भर–भर के जाओ जैसे मैं यहाँ से भर के जाता हूँ। 

 

तो बेटा अब लंबी–चौड़ी स्पीचें क्या दूँ मैं, जितना आपको लाल किताब के अंदर उतरने के लिए समझाने की जरूरत थी, उतना मैंने आपको समझाया और जो–जो इस असूल को फॉलो कर लेगा, वो बहुत जल्दी लाल किताब का मास्टर बनकर दुनिया के सामने आएगा, इसमें कोई दोराय नहीं। और रट्टा लगाने से कभी कोई कामयाब नहीं हुआ, समझने–समझाने से, अप्लाई करने से और उसको आजमा कर सच मानने से इंसान कामयाब होता है। तो ये कामयाब इंसान, कामयाब ज्योतिषी आप बने, परमात्मा आपके दिल में रहे और वो परमात्मा आपके दिल में रहकर के बहुत बड़ा ज्ञान और विज्ञान आपको देकर के बहुत बड़ा आपको बनाए। बस यही कामना करता हूँ, जय माता दी।

 

अपनी समस्या या सवाल भेंजे- https://shorturl.at/deLT9

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