लाल किताब और वास्तु का संबंध
लाल किताब में मकान, मकान कुंडली के अंदर। लग्न, लग्न को आपके घर की पूर्व दिशा कही गई है, पूर्व की दीवार नहीं कही गई। पूर्व दिशा बोली गई है, यानी दीवार से पहले का वो हिस्सा जो पूर्व में घर में लगता है।
जन्म कुंडली का दूसरा घर नॉर्थ वेस्ट यानी उत्तर पश्चिम की दिशा कही गई है और तीसरा घर आपकी साउथ की दिशा कही गई है, साउथ की दीवार नहीं कही गई। चौथा घर, आपके घर का नॉर्थईस्ट है यानी उत्तर पूर्व और पांचवां घर आपके घर की ईस्ट वॉल यानी आखिरी में जाकर जो ईस्ट की साइड में दीवार पड़ती है, वह आपकी ईस्ट वॉल है यानी पूर्वी दीवार। छठा घर, लाल किताब के अंदर घर का उत्तर दिशा मानी गई है और सातवां घर साउथ वेस्ट यानी दक्षिण पश्चिम का वह एरिया है, जो आपके घर में सेंटर खड़े होकर आप जिधर इशारा करेंगे, दक्षिण पश्चिम, दीवार नहीं। आठवां घर वह दक्षिण की दीवार माना गया है और नौवां घर तो आप सब जानते ही हैं, घर का सेंटर। दसवां घर, आपके घर की पश्चिम दिशा और 11वां घर आपके घर की पश्चिमी दीवार है और 12वां घर साउथ ईस्ट यह माना गया है।
आप सोचोगे, अब यह इतना सारा ज्ञान क्यों दे दिया? यह बहुत काम का है। आपकी जन्म कुंडली, हम लोग सब एस्ट्रोलॉजर हैं। सारा ज्योतिष का ज्ञान-विज्ञान हम सीखते हैं, किसके लिए? अपने भले के लिए, अपने जजमानों के भले के लिए, अपनों के भले के लिए। प्रेडिक्शन भी कर देते हैं कि ऐसा होगा, लेकिन ठीक कौन करेगा? अगर आपके घर के वास्तु में आपने गड़बड़ कर दी, तो शुभ ग्रह होते हुए भी आपको पता नहीं चलेगा कि आपके काम, आपका स्वास्थ्य, आपके घर की सुख-शांति, रुपया-पैसा बिगड़ क्यों रहा है। यह पता ही नहीं चलेगा आपको किसी को। अब यह बिगड़ा कैसे है?
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राहु और वास्तु दोष का उदाहरण
वह आपको बताता हूं कि अगर मान लीजिए जन्म कुंडली के अंदर राहु 12वें घर में बैठा हुआ है, तो आप साउथ ईस्ट में किचन कैसे बना सकते हैं? अगर राहु जन्म कुंडली के 12वें घर में बैठा है, तो जहां आपने अपने घर के साउथ ईस्ट में किचन बनाई है, वहां खर्चा, लड़ाई, बदनामी, स्वास्थ्य की कमी सब अपने आप ही संभव हो जाएगी। लाख सूर्य जन्म कुंडली के अंदर अच्छा बैठा हो, तो अच्छा क्या है? कि राहु अगर 12वें घर में बैठा है, तो आपको वहां किसी भी सूरत में रसोई नहीं होनी चाहिए। उसी साइड में बृहस्पति नहीं होना चाहिए, यानी आपकी पूजा-पाठ का स्थान नहीं होना चाहिए। उसी साइड में पानी का कोई साधन नहीं होना चाहिए, चंद्रमा को भी खराब करता है, और वहां आपका शयनकक्ष नहीं होना चाहिए, अगर जोड़ा अभी तक एक होता है तो।
क्योंकि शुक्र को भी नुकसान पहुँचाता है। इसी प्रकार से मैंने इसीलिए आपको डायरेक्शन लिखवाई है कि आप हर जगह कौन-सा ग्रह बैठा हुआ है, आपने उस ग्रह का दुश्मन ग्रह उस डायरेक्शन के अंदर स्थापित नहीं करना है। अब मान लीजिए सूर्य-राहु 12वें घर के अंदर है। अब क्या करेंगे आप? आपको करना है कि किसी भी सूरत में 12वें घर के अंदर ना आप टॉयलेट बनाएंगे, ना आप रसोई यानी कि साउथ ईस्ट के अंदर। ना आप टॉयलेट बनाएंगे, ना आप रसोई बनाएंगे। राहु का छठा घर उच्च का माना जाता है लाल किताब के अनुसार, तो आप उत्तर दिशा के अंदर भले ही टॉयलेट बना लो, लेकिन जब किचन बनाओगे तो उसको पांचवा स्थान देना पड़ेगा यानी कि उसको पूरब की दीवार के साथ लेकर जाना पड़ेगा। आप दक्षिण की दीवार के साथ अकेले के साथ ले जाइए क्योंकि 8वें घर में भी सूर्य बुरा नहीं होता, वहाँ उल्टा जान-प्राण की रक्षा करता है।
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असली उपाय: कुंडली के अनुसार वास्तु सेट करना
इसी प्रकार से आपको हर ग्रह के बारे में सुनना है। पहले तो आपको यह सोचना है कि आपका जन्म कुंडली के अंदर बैठा हुआ ग्रह किस दिशा में बैठा है। पहली कड़ी तो यह है कि फिर अपने घर में सेंटर में कंपास रखकर देखिए कि उसके दुश्मन ग्रह की कौन-सी वस्तु आपने वहां पर रखी हुई है, जिसको हटाते ही आपको असर और चमत्कार दोनों नजर आएंगे। यह है असली वास्तु लाल किताब का। और अगर मान लीजिए किसी एक घर के अंदर 1, 2, 3, 4 दुश्मन ग्रह आपस में बैठे हुए हैं, और अगर वे कोई योग-संयोग बहुत अच्छे वाला बना रहे हों, तो उन्हें हटाइए मत। उल्टा, वे सारी चीज़ उस दिशा के अंदर रख दीजिए। और अगर वे घमासान मचा रहे हैं, तो इन सब को अलग-अलग करने का काम आप जानते ही हैं, क्योंकि आप एस्ट्रोलॉजर हैं, आप ज्योतिषी हैं। तो किसी भी ग्रह की वस्तुओं को अगर आप इस तरह से वास्तु के अनुसार फिट करते हैं, अपनी जन्म कुंडली के अनुसार, वास्तु के नहीं, अपनी जन्म कुंडली के वास्तु के अनुसार, अगर आप फिट करते हैं, तो जिंदगी में कभी भी आपको बहुत बड़ी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा। यह सबसे बड़ा उपाय है दुनिया में, और इससे बड़ा उपाय आपको और कोई नहीं मिल सकता।
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